भारत-जापान की दोस्ती से डरा चीन?
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: चीन का कहना है कि जापान, चीन को टक्कर देने के लिये भारत पर भरोसा नहीं कर सकता है. चीन के इस दृष्टिकोण का खुलासा मंगलवार को चीन के प्रमुख अखबार पीपुल्स डेली ने किया है. जाहिर है कि जापान के साथ भारत के व्यापारिक समझौते चीन के व्यापारिक हितों को नुकसान पहुंचा सकते हैं. चीनी अखबार ने एक लेख के माध्यम से विश्वास व्यक्त किया है कि चीन-भारत के बीच के मजबूत रिश्ते उसे जापान तथा अमरीका से रिश्ते बनाने में समक्ष बनाते हैं. उल्लेखनीय है कि जापान के साथ चीन की पुरानी प्रतिद्वंदिता है तथा अमरीका आज के दिन में उसका व्यापारिक प्रतिस्पर्धी है.
चीन के एक प्रमुख अखबार ने कुछ जापानी टिप्पणीकारों के इस नजरिए को मंगवार को आधारहीन करार दिया है कि चीन को टक्कर देने के लिए भारत और जापान रणनीति तैयार कर सकते हैं. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस महीने के प्रारंभ में हुए जापान दौरे का उल्लेख करते हुए पीपुल्स डेली ने अपने ऑनलाइन संस्करण में कहा है, “जापान में कुछ टिप्पणीकारों ने कहा है कि चीन को टक्कर देने के लिए जापान और भारत के नेता रणनीति तैयार कर रहे हैं. यह अनुमान निराधार है.”
लेख में कहा गया है कि भारत दक्षिण एशिया का ‘गजराज’ है जिसकी अपनी स्वतंत्र विदेश नीति है.
“जापान हो या अमरीका, कोई भी बड़ी ताकत अपनी इच्छा भारत पर थोपने में सफल नहीं हो सकती. भारत की दूरदर्शी विदेश नीति भारत के व्यावहारिक हितों द्वारा निर्धारित होती है.”
भारत-चीन रिश्ते की बात करते हुए इसमें इस तथ्य का विशेष उल्लेख किया गया है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इसी महीने भारत की अपनी यात्रा के दौरान मोदी के गृह राज्य गुजरात पहुंचकर उनसे मुलाकात की थी.
लेख में कहा गया है, “यह यात्रा भारत और चीन के बीच आपसी सम्मान का प्रतीक है और दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच व्यक्तिगत रिश्ते स्थापित करने की दिशा में पहला कदम है.”
लेख में कहा गया है, “अमरीका और जापान दोनों ही चीन का मुकाबला करने के लिए साझेदारों की तलाश में जुटे हैं. ये दोनों देश चीन की तरफ भारत के बढ़ते कदम को रोकने की हरदम कोशिश करेंगे. दोनों देश हालांकि किसी भी गिरावट की दशा में द्विपक्षीय रिश्ते सुधारना चाहेंगे.”
चीनी अखबार ने कहा है कि भारत के नेताओं का कहना है कि आप अपने दोस्त तय कर सकते हैं परन्तु पड़ोसियों को चयन नहीं किया जा सकता है. लेख में कहा गया है कि भारत तथा चीन के बीच के संबंधों का जापान तथा अमरीका के साथ उसके संबंधों से कुछ लेना देना नहीं है. चीन के अखबार में छपे लेख को देखकर आसानी से समझा जा सकता है कि चीन अइपने आप को दिलासा देने की कोशिश कर रहा है. गौरतलब है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी 25 सितंबर को अमरीका के पांच दिवसीय यात्रा पर जा रहें हैं. ठीक ऐसे समय चीन की इस टिप्पणी के कई दूसरे निहितार्थ भी हैं.
बहरहाल, इसे प्रधानमंत्री मोदी की कूटनीतिज्ञ विजय मानी जानी चाहिये कि उन्होंने एशिया के मंच पर भारत को उसका उचित स्थान दिलवा दिया है.