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दुनिया का विकास अनिवार्य है: मोदी

टोक्यो | समाचार डेस्क: प्रधानमंत्री मोदी ने जापान के चैम्बर ऑफ कॉमर्स के सदस्यों को संबोधित करते हुए दुनिया के विकास पर बल दिया है. उन्होंने कहा “विकासवाद ही अनिवार्य है और मैं मानता हूं कि 21वीं सदी में विश्‍व का नेतृत्‍व यदि एशिया को करना है तो भारत और जापान ने मिलकर विकासवाद की गरिमा को और ऊंचाई पर ले जाना पड़ेगा.”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वैश्विक शक्तियों पर अप्रत्यक्ष प्रहार करते हुए सोमवार को कहा कि विश्व में 18वीं शताब्दी जैसा विस्तारवाद देखने को मिल रहा है, लेकिन इसके बजाय विकास के पथ पर चलने की जरूरत है. जापानी चैम्बर ऑफ कॉमर्स तथा जापान-भारत व्यापार सहयोग समिति की बैठक को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि विश्व दो धाराओं में बंटा हुआ है. एक धारा है विस्तारवाद और दूसरा विकासवाद.

उन्होंने कहा कि यह तय करने की जरूरत है कि विश्व विस्तारवाद के रास्ते पर चले या विकास की राह पर चलते हुए नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए अवसरों का सृजन करे.

मोदी ने कहा, “जो लोग बुद्ध के दिखाए मार्ग पर चलते हैं, जो विकास की राह पर भरोसा रखते हैं, उनके जीवन में शांति और प्रगति की गारंटी है. लेकिन आज हम विस्तारवाद को हावी होता देख रहे हैं, जैसा कि 18वीं सदी में होता था.”

प्रधानमंत्री ने कहा, “किसी देश पर अतिक्रमण, समुद्री रास्ते से जलक्षेत्र में घुसपैठ, किसी देश में घुसपैठ और उसके किसी हिस्से पर कब्जा जमा लेना-यही विस्तारवाद है जिससे 21वीं सदी में मानवता का कल्याण नहीं हो सकता. विकास की राह पर चलना बहुत जरूरी है और मुझे लगता है कि इसी राह पर चलते हुए एशिया को 21वीं सदी में विश्व का नेतृत्व करना है. भारत और जापान साथ मिलकर विकास के पथ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे.”

सभा के अंत में मोदी ने कहा कि “हम सभी एक पार्टनर है. पार्टनर रूप से आगे बढ़ा रहे हैं. मैं चाहता हूं कि जापान और भारत पार्टनर बने. हम मिलकर एशिया के लिए और एशिया के माध्‍यम से विश्‍व के लिए विकास के मार्ग पर आगे बढ़े. ”

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