मछली उत्पादन में छत्तीसगढ़ आगे
रायपुर | संवाददाता: मछली उत्पादन के मामले में छत्तीसगढ़ देश के प्रथम छह अग्रणी राज्यों में शामिल हो गया है. छत्तीसगढ़ में पिछले वित्तीय वर्ष 2013-14 में दो लाख 84 हजार मीटरिक टन मछलियों की पैदावार हुई थी.
इसे मिलाकर विगत दस वर्षों में छत्तीसगढ़ में 18 लाख 79 हजार मीटरिक टन मछलियों का उत्पादन हुआ. प्रदेश के 94 प्रतिशत से ज्यादा जलक्षेत्र में हो रहा है मछली पालन. इससे न केवल छत्तीसगढ़ में रोजगार के अवसर बढ़ें हैं बल्कि इन्हें अन्य राज्यों को भी बेचा जाता है.
वर्ष 2004-05 में छत्तीसगढ़ के मछुआरों ने एक लाख 20 हजार मीटरिक टन मछलियों का उत्पादन हासिल किया था, जो पिछले साल बढ़कर दो लाख 84 हजार मीटरिक टन तक पहुंच गया. छत्तीसगढ़ में उपलब्ध कुल एक लाख 57 हजार हेक्टेयर के जल क्षेत्र में से एक लाख 48 हजार हेक्टेयर को मछली पालन के लिए विकसित किया जा चुका है. यानी प्रदेश के कुल जल क्षेत्र के 94 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से में मछली पालन का व्यवसाय हो रहा है. मछली उत्पादन में वृद्धि से प्रदेश के मछुआ परिवारों की आर्थिक स्थिति में भी काफी सुधार आ रहा है.
छत्तीसगढ़ की नदियों में कुल तीन हजार 573 किलोमीटर जल क्षेत्र प्राकृतिक रूप से मछली पालन के लिए उपलब्ध है. इसका भी समुचित उपयोग किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में मुख्य रूप से रोहू, कतला और म्रिगल प्रजाति की मछलियों की पैदावार ली जा रही है. इसके अलावा विगत कुछ वर्षों में झींगापालन में भी मछुआरों का रूझान बढ़ा है.
मछली पालन विभाग द्वारा ग्राम देमार, जिला धमतरी में स्थापित मत्स्य प्रक्षेत्र में झींगा पालन के तौर तरीकों की जानकारी देने के लिए विशेष प्रदर्शन की व्यवस्था की गई है. वहां पर मछुआरों को झींगा पालन का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है.