छत्तीसगढ़ी फिल्म लाइफ साउथ एशियन समारोह में
रायपुर | संवाददाता: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन, अहमदाबाद में अगले महीने होने जा रहे साउथ एशियन फिल्म समारोह अल्पविराम-2014 में प्रदर्शन के लिए छत्तीसगढ़ी में बनी लघु फिल्म ‘लाइफ’ का चयन किया गया है.
फिल्म का निर्माण और निर्देशन युवा फिल्मकार सृंजय ठाकुर ने किया है. इस स्पर्धा में 30 वर्ष तक के युवा फिल्मकारों की फिल्में दिखाई जाएंगी. समारोह में भारत के युवा फिल्मकारों के साथ ही सार्क के अन्य देशों अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, पाकिस्तान, मालदीव और श्रीलंका के फिल्मकारों की भी फिल्में होंगी.
मूल रूप से राजनांदगांव के रहने वाले 23 वर्षीय सृंजय ने दिल्ली के कॉलेज ऑफ आर्ट्स से दो वर्ष पूर्व एपलाइड आर्ट्स में स्नातक तक की पढ़ाई की है और दिल्ली में ‘ठेका’ नामक अपने समूह के जरिये गैर व्यावसायिक लघु फिल्मों का निर्माण करते हैं. 15 मिनट की उनकी लघु फिल्म लाइफ की शूटिंग और निर्माण राजनांदगांव में किया गया.
अंग्रेजी के सब टाइटल वाली यह फिल्म तेज रफ्तार जिंदगी के दौर में एक कस्बाई और ग्रामीण परिवेश में रह रहे एक अधेड़ की जिंदगी के इर्द गिर्द घूमती है. वह अकेला रहता है और उसे खाना बनाने से लेकर घर के बाकी सारे काम भी खुद ही करने पड़ते हैं. अपनी जीवन भर की कमाई उसने अपने इकलौते बेटे की पढ़ाई में खर्च कर दी है. बेटा किसी महानगर में नौकरी कर रहा है और वहीं से कुछ पैसे उसके लिए भेज देता है. पत्नी की मौत हो चुकी है. बेटे ने पिता को एक मोबाइल फोन दे रखा है और वही उनके बीच का संपर्क सूत्र है.
उसकी नियमित दिनचर्या में एक दिन तब खलल पड़ जाती है जब मोबाइल फोन से अचानक पैसे कटने लगते हैं. काफी मशक्कत के बाद पता चलता है कि यह पैसे उस सेवा के एवज में काटे जा रहे हैं जो उसने ली ही नहीं. यह सेवा मोबाइल फोन पर रोटी बनाना सिखाए जाने से संबंधित है!
फिल्म का कथा लेखन और निर्देशन सृंजय ने किया है. साउंड रिकॉर्डिंग और संगीत दुर्ग के युवा संगीतकार योगेश नवरतना ने दिया है. फिल्म के नायक राजनांदगांव के द्विजेंद्र बख्शी हैं. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी कॉलेज ऑफ आर्ट्स दिल्ली के छात्र हर्षित सैनी और अर्चित सिंह ने की है. फिल्म की पूरी यूनिट ऐसे युवाओं की है, जो प्रयोग में विश्वास रखते हैं.