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फूलन को 13 साल बाद न्याय

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: दस्यु सुंदरी फूलन देवी को आखिरकार 13 सालों बाद न्याय मिला है. बंदूक के बल पर न्याय करने वाली दस्यु सुंदरी को मरने के बाद अदालय से ही न्याय मिल पाया है. पूर्व सांसद फूलन देवी की हत्या के 13 वर्ष बाद दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को मामले के मुख्य आरोपी शेर सिंह राणा को दोषी करार दिया.

अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्ट्या सभी सबूत उसी की ओर इशारा करते हैं. राणा पर आरोप था कि उसने 25 जुलाई, 2001 को फूलन देवी की गोली मार कर हत्या कर दी थी.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश भारत पराशर ने 1981 के बेहमई नरसंहार का बदला लेने के लिए फूलन की हत्या करने के आरोपी शेर सिंह राणा को दोषी करार दिया.

डकैत से नेता बनी फूलन ने बेहमई में एक ही जाति के 17 लोगों की हत्या कर दी थी. राणा ने दावा किया था कि ठाकुरों के नरसंहार का बदला लिया है.

हत्या के समय फूलन उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से समाजवादी पार्टी की सांसद थीं और अशोक रोड स्थित सरकारी आवास में रहती थीं. राणा ने अपने साथियों के साथ मिलकर फूलन के सरकारी आवास के बाहर हत्या को अंजाम दिया था.

इस मामले में राणा के अलावा 11 अन्य भी आरोपी थे जिनमें से एक प्रदीप की नवंबर 2013 में तिहाड़ जेल में हृदय गति रुकने से मौत हो गई. शुक्रवार को सुनाए गए फैसले में अदालत ने राणा को छोड़ शेष सभी 10 को रिहा कर दिया.

फूलन के पति उमेद सिंह ने अदालत के फैसले पर असंतोष जाहिर किया.

अदालत के बाहर उमेद सिंह ने कहा, “न्याय नहीं हुआ. 10 आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया. हम उच्च न्यायालय से गुजारिश करेंगे. यह मामला राजनीति से प्रेरित था.”

राणा को 27 जुलाई 2001 को गिरफ्तार किया गया था लेकिन 2004 में वह तिहाड़ जेल से फरार होने में कामयाब रहा.

2006 में उसे कोलकाता से गिरफ्तार किया गया और फिर दिल्ली लाकर उच्च सुरक्षा वाले कारागृह में डाल दिया गया.

अदालत ने राणा को हत्या और समान नीयत से हत्या का प्रयास करने के आरोप का दोषी ठहराया है. अदालत ने हालांकि उसे आपराधिक सांठगांठ और हथियार अधिनियम के तहत लगे आरोपों से मुक्त कर दिया है.

चर्चित मामले की सुनवाई को देखते हुए पटियाला हाउस के अदालती कक्ष संख्या 25 की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी.

अदालत का फैसला सुनने के लिए राणा गुलाबी रंग के चेक वाली कमीज और पेंट में आया था और अदालत के कक्ष में प्रवेश के समय बेहद शांत दिख रहा था.

जैसे ही न्यायाधीश ने अपना फैसला सुनाया वह बेहद हतप्रभ सा दिखने लगा. इस मामले में बरी किए गए 10 आरोपियों की खुशी छिपाए नहीं छिप रही थी.

राणा ने अदालत से सवाल किया, “मुझे क्यों दोषी करार दिया गया है?”

न्यायाधीश ने कहा कि प्रथम दृष्टया सबूतों के कारण वह दोषी ठहराया गया है और वह इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती दे सकता है.

मामले के दो आरोपी धर्म प्रकाश उर्फ विक्की और सुरिंदर सिंह की पैरवी करने वाले वकील बंकिम कुलश्रेष्ठ ने फैसले का स्वागत किया.

लेकिन उन्होंने राणा को दोषी ठहराए जाने पर अफसोस जताया.

उन्होंने कहा, “इस मामले में राणा के खिलाफ कोई सबूत नहीं था.”

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