महंगाई कम नहीं होगी
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से महंगाई बढ़ेगी. पेट्रोल की कीमत में 1 रुपये 69 पैसे की बढ़ोतरी हो गई है तथा डीजल के दाम भी 50 पैसे बढ़ गये हैं. यह अच्छे दिनों की आशा कर रहे भारतीय मतदाताओं के लिये अशुभ संकेतो भरा है. लाख वादे तथा कोशिश के बावजूद मोदी सरकार महंगाई कम नहीं कर सकती है. इसका कारण यह है कि पेट्रोल तथा डीजल के दामों पर लगाम लगाना उसके लिये संभव नहीं दिख रहा है.
नव उदारवादी रुझानों के चलते मनमोहन सिंह की सरकार ने पेट्रोल तथा डीजल की कीमतों को बाजार के भरोसे छोड़ दिया था. जिसका अर्थ है कि पूर्ववर्ती सरकार ने पेट्रोल-डीजल के भाव तय करने का अधिकार उसे बेचने वालों को सौंप दिया था. नतीजन, मुनाफाखोरी के चलते तेल कंपनिया, चाहे सरकारी ही क्यों न हो जनता को रियायत देने के बजाये उन पर बढ़ते दाम का बोझ लादने लगी. इस बीच, सरकार ने सर्वसमावेशी विकास का नारा तो जरूर दिया परन्तु विकास केवल कीमतों में ही दिखाई देने लगा.
उल्लेखनीय है कि जहां से बाजार शुरु होता है वहां पर आकर मानवता दम तोड़ देती है. बाजार के बाजारूपन के आगे सरकारें घुटना टेक देगी इसका अंदाजा जनता को न था. न ही इस बात का गुमान था कि बाजार अपने मुनाफे के लिये देश के आर्थिक-सामाजिक ताने-बाने को तबाह कर देगी. पेट्रोल-डीजल के दामों के साथ भी यही हुआ है. इसके बढ़ते जाने से स्पष्ट हो गया है कि महंगाई पर नियंत्रण करना सरकार के बस की बात नहीं है.
मोदी सरकार ने अपने मतदाताओं को पहला झटका रेल किरायों में बढ़ोतरी को लेकर दिया था. उसके बाद चीनी के दाम बढ़ाने वाली नीति की मोदी सरकार के मंत्री रामविलास पासवान ने घोषणा की थी. रसोई गैस के दाम प्रतिमाह 10 रुपये बढ़ाये जाने की खबर पहले आई थी. जिसे तीन माह के लिये टाल दिया गया है. हां, इतना तय है कि रसोई गैस के दाम भविष्य में जरूर बढ़ेंगे क्योंकि इस बात की गारंटी नहीं दी गई है कि इनके दाम स्थिर रहेंगे.
देश में परिवहन के लिये मुख्यतः रेल तथा सड़क मार्गो का उपयोग किया जाता है. इनसे खाद्य पदार्थो से लेकर पहनने के कपड़े, दवाई, मकान बनाने की सामग्री सब कुछ उनके उत्पादन स्थल से लेकर उपयोगकर्ता तक पहुंचाया जाता है. जब, परिवहन के दाम बढ़ते रहेंगे तो कैसे उम्मीद की जा सकती है कि आवश्यक वस्तुओं के दाम कम होंगे. इनके स्थिर रहने की बात छोड़ दीजिये, इनके दामों का बढ़ते रहना नियति बन गई है.
खेती में लगने वाला बीज-खाद इन सभी को गाड़ियों से ही ढ़ोया जाता है. खेतों में पानी, डीजल खर्च करके ही सींचा जाता है. जब फसल तैयार हो जाती है तो उसे गाड़ियों के माध्यम से बाजार तक ले जाया जाता है. इससे स्पष्ट है कि पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने से खाद्य पदार्थों का उत्पादन खर्च बढ़ जायेगा. जब उत्पादन का खर्च बढ़ेगा तो उसका खुदरा मूल्य बढ़ना अवश्यंभावी है.
इन बढ़ते दामों के बीच इस बात की कैसे उम्मीद की जा सकती है कि महंगाई कम होगी. महंगाई से तात्पर्य कई जरूरी चीजों के दाम बढ़ जाने से है. अभी पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े हैं अब उनसे जुड़ी चीजों के दाम बड़ जायेंगे.