3 साल की बच्ची से व्यवस्था का रेप
आलोक प्रकाश पुतुल | बीबीसी: छत्तीसगढ़ में 3 साल की एक बच्ची से दुष्कर्म के बाद उसका पिता बच्ची को अपने कंधे पर टांगे हुये चिकित्सकीय जांच के लिये एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल भटकता रहा. लेकिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर ज़िले के अस्पताल में भी बच्ची की जांच नहीं हो सकी. दो ज़िला अस्पतालों ने जांच से मना कर दिया.
अंततः राजधानी रायपुर के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय में बच्ची का परीक्षण किया गया.
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने कहा कि “हमने पूरे मामले की जांच के आदेश दिये हैं कि किन परिस्थितियों में बच्ची का मेडिकल टेस्ट नहीं हो पाया. इस मामले में जो भी दोषी होगा, उसके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगा.”
मामला राजधानी रायपुर से लगभग 150 किलोमीटर दूर बालोद ज़िले के एक गांव का है.
बुधवार की सुबह ज़िला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर इस गांव में एक 3 साल की छोटी बच्ची अपने बड़े भाई के साथ तीनपहिया साइकिल सुधरवाने के लिये गई थी.
आरोप है कि साइकिल सुधरने के बाद जब बच्ची का भाई साइकिल चलाते हुये चला गया तो साइकिल सुधार का काम करने वाले गांव के 25 साल के दीनबंधु ने बच्ची को अपने घर ले गया. जहां उसने 3 साल की मासूम के साथ दुष्कर्म की कोशिश की.
ख़ून से लथपथ बच्ची बड़ी मुश्किल से अपने घर पहुंची तो मां-बाप हैरान रह गये.
गांव वालों ने आरोपी को पकड़ा, उसकी जम कर धुनाई की और फिर उसे गुंडरदेही थाना में ले जा कर पुलिस के सुपुर्द कर दिया.
डौंडी लोहारा के थाना प्रभारी एन पी चंद्राकर के अनुसार-“हालात को देखते हुये हमने दुष्कर्म के लिये धारा 376 और बाल संरक्षण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया और बच्ची को चिकित्सकीय परीक्षण के लिये एक महिला आरक्षक के साथ स्थानीय डौंडीलोहारा अस्पताल में भेजा गया.”
डौंडीलोहारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में महिला चिकित्सक के नहीं होने के कारण पीड़ित बच्ची को बालोद ज़िला मुख्यालय भेज दिया गया.
पीड़ित बच्ची के पिता का कहना है कि बालोद ज़िला अस्पताल में उन्हें कहा गया कि महिला चिकित्सक मातृत्व अवकाश पर हैं, इसलिये बच्ची का चिकित्सकीय परीक्षण नहीं हो सकता.
बालोद ज़िले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर एनएल साहू कहते हैं- “हमारे यहां महिला चिकित्सक नहीं थी. ऐसे में हम बच्ची का परीक्षण कैसे कर सकते थे? इसलिये हमने सुझाव दिया कि बच्ची को पहले गुंडरदेही स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाये, वहीं से चिकित्सक उसे कहीं और रेफर करेंगे.”
एक सिपाही के साथ बच्ची के पिता बच्ची को ज़िला अस्पताल से लेकर गुंडरदेही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे. वहां उपस्थित महिला चिकित्सक ने यह कहते हुये बच्ची का परीक्षण और इलाज करने से मना कर दिया कि बच्ची बेहद छोटी है और वे इस काम के लिये प्रशिक्षित नहीं हैं.
गुंडरदेही अस्पताल से बच्ची को पड़ोस के दुर्ग ज़िला अस्पताल रेफ़र कर दिया गया.
बच्ची के पिता का कहना है कि वे सिपाही के साथ जब दुर्ग ज़िला अस्पताल पहुंचे तो वहां यह कहते हुये हाथ खड़े कर दिया गया कि बच्ची को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से सीधे दूसरे ज़िले के अस्पताल में रेफ़र नहीं किया जा सकता. इसके लिये विधिवत पहले बालोद ज़िला अस्पताल से बच्ची को रेफ़र किया जाना चाहिये थे.
दुर्ग ज़िला अस्पताल के चिकित्सकों के सुझाव के बाद बच्ची का पिता अपनी तीन साल की बेटी और एक सिपाही के साथ राजधानी रायपुर के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर स्मृति चिकित्सालय में पहुंचा.
जहां बड़ी मिन्नत और सवाल-जवाब के बाद बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया गया.
बच्ची के पिता ने बीबीसी से बातचीत में कहा-“सुबह 8 बजे से हम घर से निकले थे और भूखे-प्यासे पूरे दिन अपनी बच्ची को गोद में लिये एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल के चक्कर काटते रहे. अभी रात के आठ बज गये हैं और मेरे पेट में अन्न का एक दाना नहीं गया है. भगवान ऐसा दिन किसी को न दिखाए. बच्ची के साथ रेप के बाद जांच के नाम पर जो हुआ है, वह रेप से बढ़ कर है.”
हालांकि राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल का कहना है कि इस पूरे मामले की जांच की जाएगी और दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई भी होगी. लेकिन इलाके की विधायक और राज्य की महिला-बाल विकास मंत्री रमशीला साहू को पूरे मामले की कोई ख़बर ही नहीं है. उन्होंने कहा- “अगर ऐसा कुछ हुआ है तो यह बहुत शर्मनाक है. मैं इसका पता लगवाती हूं और इसमें कड़ी कार्रवाई करुंगी.”