खतरे में मिशन मोदी 2014 ?
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: आम आदमी पार्टी 2014 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के मिशन मोदी को खतरे में डाल सकती है. दिल्ली विधानसभा में मिली अप्रत्याशित सफलता से यह साबित हो गया है कि शहरी सीटों पर आम आदमी पार्टी का प्रभाव पड़ सकता है.
2009 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 200 शहरी सीटों में से 50 सीटें मिली थी. इस बार मोदी के नेतृत्व में भाजपा आशा कर रही है कि इनमें से 100 से 150 लोकसभा सीटें उसकी झोली में आ सकते हैं जिस पर आम आदमी पार्टी ने सवालिया निशान लगा दिये हैं.
दिल्ली में आम आदमी पार्टी को 30 फीसदी मत मिले हैं. 2009 के विधानसभा चुनावों की तुलना में दिल्ली में भाजपा को 2 फीसदी तथा कांग्रेस को 15 फीसदी मत कम मिले हैं. इसका अर्थ है कि आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस विरोधी मतो को बटोर लिया है. भाजपा ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी को इसलिये अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया है कि इससे कांग्रेस विरोधी मत उसके झोली में आ जाये परन्तु यदि आम आदमी पार्टी ने इन शहरी क्षेत्रों से अपने प्रत्याशी खड़े किये तो इससे भाजपा को मुसीबत का सामना करना पड़ सकता है.
खबरों के अनुसार आम आदमी पार्टी ने देश के कई लोकसभा क्षेत्रों से अपने प्रत्याशी उतारने का पक्का फैसला कर लिया है. यह भी संभावना व्यक्त की जा रही है कि दिल्ली विधानसभा में विश्वास मत प्राप्त करने के बाद 15 दिनों के भीतर आम आदमी पार्टी अपने लोकसभा के प्रत्याशियों का घोषणा करने वाली है. भाजपा माने या न माने आम आदमी पार्टी ने देश की राजनीति में खलबली मचा रखी है.
गौर करने वाली बात यह है कि पिछले करीब सालभर से खबरो में छाये रहने वाले नरेन्द्र मोदी का स्थान अब अरविंद केदरीवाल तथा उनकी पार्टी ने ले लिया है. फिलहाल नरेन्द्र मोदी यदा-कदा ही खबरों में आ पाते हैं. सोशल मीडिया में भी अरविंद केजरीवाल छाये हुए हैं.
बताया जा रहा है कि ट्वीटर में रोज करीब 8,000 फालोअर्स उनके साथ जुड़ते जा रहें हैं. उसी प्रकार फेसबुक में भी करीब 43,000 मित्र रोज अरविंद केजरीवाल के साथ जुड़ते जा रहें हैं. यही हालत बनी रही तो लोकसभा चुनाव के पहले अरविंद केजरीवाल, नरेन्द्र मोदी को सोशल मीडिया में पछाड़ सकते हैं.
गैरतलब है कि मोदी के निशाने पर कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी रहते हैं. जब अरविंद केजरीवाल सामने आयेंगे तो मोदी के पास उनके खिलाफ बोलने के लिये कुछ भी नही रहेगा. खासकर भाजपा का कांग्रेस के नेताओं पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाना जबकि आम आदमी पार्टी तो देशमें भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की उपज है. इन तमाम बातों ने मोदी के मिशन 2014 को खतरे में डाल दिया है. जिसको लेकर भाजपा के नेता पर्दे के पीछे चिंतित हैं.