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नाम घोषणा से पहले दिग्विजय पुत्र ने पर्चा भरा

भोपाल | एजेंसी: राजनीति में कम ही लोगों में यह आत्मविश्वास होता है कि पार्टी की ओर से उम्मीदवारी तय होने से पहले ही वह अपना पर्चा भरे. उन्हीं में एक हैं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह, जिन्होंने शुक्रवार को पार्टी की ओर से उम्मीदवारों का एलान किए जाने से पहले ही गुना जिले की राघौगढ़ विधानसभा क्षेत्र से बतौर कांग्रेस उम्मीदवार नामांकन दाखिल किया है..

मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस में उम्मीदवारी तय करने के लिए माथापच्ची का दौर जारी है.. पार्टी शुक्रवार की शाम तक उम्मीदवारों की पहली सूची भी जारी नहीं कर पाई थी.. यही कारण है कि राज्य से नाता रखने वाले राष्ट्रीय स्तर के सभी नेता सिर्फ दिग्विजय सिंह को छोड़कर दिल्ली में ही डेरा डाले हुए हैं..

कांग्रेस के उम्मीदवारों की घोषणा भले ही न हुई हो मगर दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के बेटे जयवर्धन सिंह ने शुक्रवार को गुना जिले के राघौगढ विधानसभा क्षेत्र से नामांकन भरा.. उन्होंने नामांकन के साथ बी फार्म जमा नहीं किया है, क्योंकि पार्टी ने अभी तक उम्मीदवारी का एलान नहीं किया है..

संभवत: कांग्रेस की राजनीति में ऐसे कम ही अवसर आते हैं, जब कोई उम्मीदवार नाम का एलान होने से पहले ही नामांकन भर दे.. राजनीति के जानकार कहते हैं कि जयवर्धन आम कार्यकर्ता नहीं हैं, वे दिग्विजय सिंह के बेटे हैं और उनकी उम्मीदवारी को लेकर संशय नहीं है.. शुक्रवार को धनतेरस का मुहूर्त था इसीलिए उन्होंने नामांकन भरा है..

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव दिग्विजय सिंह का कहना है कि जयवर्धन ने कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा है, निर्दलीय नहीं.. निर्दलीय के लिए 10 प्रस्तावकों की जरुरत होती है.. यह नामांकन पार्टी से विशेष अनुमति लेकर भरा गया है..

वरिष्ठ पत्रकार दीपक तिवारी का कहना है कि जिस तरह राष्ट्रीय राजनीति में माना जाता है कि सोनिया गांधी के उत्तराधिकारी राहुल गांधी होंगे, ठीक उसी तरह दिग्विजय सिंह का उत्तराधिकारी जयवर्धन का होना तय है.. लिहाजा दिग्विजय ने उनका राघौगढ से नामांकन भरवाया है.. जहां तक उम्मीदवारों की घोषणा न होने का सवाल है तो इसे सब जानते हैं कि जयवर्धन ही राघौगढ़ से उम्मीदवार होंगे..

उम्मीदवारी की घोषणा से पहले दिग्विजय सिंह के बेटे द्वारा नामांकन भरे जाने से राजनीतिक हलकों और पार्टी के भीतर ही चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है.. साथ ही सवाल उठ रहे हैं कि अगर हर तरफ से कार्यकर्ता व नेता नामांकन भरने लगे तो क्या होगा..

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