महाराष्ट्र मे अंधविश्वास विरोधी अध्यादेश
मुंबई | एजेंसी: अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता नरेंद्र दाभोलकर अपने जीते जी जिस कानून के लिये लड़ाई करते रहे उनकी हत्या के एक दिन बाद उसे अमलीजामा पहनाया जा रहा है. महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को काला जादू, अंध श्रद्धा और अंधविश्वास को खत्म करने संबंधी विधेयक को अध्यादेश के जरिए लागू करने का फैसला किया. देश में यह अपनी तरह का पहला कानून होगा. हालांकि इसे लागू होता देखने के लिये दाभोलकर अब नही रहें.
दाभोलकर (69) अंधविश्वास, काला जादू और टोना के खिलाफ पिछले तीन दशकों से अभियान चला रहे थे. मंगलवार को पुणे में ओमकारेश्वर मंदिर के समीप मोटरसाइकिल सवार दो हमलावरों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी. हत्या को लेकर राज्य भर में हंगामा खड़ा हो गया है. दाभोलकर ने सरकारी सासून अस्पताल में दम तोड़ा.
अब दाभोलकर की हत्या के खिलाफ राज्य भर में आक्रोश को देखते हुए राज्य सरकार ने इसे लागू करने के लिए अध्यादेश का मार्ग अपनाने का फैसला किया है, क्योंकि विधानसभा का शीतकालीन सत्र मध्य दिसंबर में शुरू होगा.
इससे पहले बुधवार को पुणे में हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए. शहर में स्वस्फूर्त पूर्ण बंदी देखी गई.
महाराष्ट्र मंत्रिमंडल ने ध्वनिमत से अध्यादेश लागू करने का निर्णय लिया. इससे संबंधित विधेयक 1995 में विधानसभा में पेश हुआ था.
राज्य भर में दाभोलकर की हत्या के विरोध में धधक उठी ज्वाला को शांत करने के लिए यह कदम उठाया गया है. पुणे में दाभोलकर की हत्या के विरोध में स्वत:स्फूर्त बंद हुआ है.
विधानसभा में 1995 में पेश महाराष्ट्र अंध श्रद्धा उन्मूलन विधेयक करीब 29 बार संशोधित किया गया. उसे विधानसभा से पारित होना था, लेकिन कड़े विरोध के कारण यह पारित नहीं हो सका. विधेयक के विरोधी खास कर हिंदू संगठनों ने इसे ‘हिंदू विरोधी’ बताया है.
यह विधेयक सरकार को सामाजिक और धार्मिक बुराइयों, स्वयंभू भगवानों, तांत्रिकों और धूर्त लोगों द्वारा अनजान लोगों को बहुधा ठगने के लिए नर या पशु बलि, बुरी आत्माओं को खदेड़ने या पुत्र प्राप्ति के लिए अनुष्ठान को इस विधेयक के दायरे में लाने का अधिकार प्रदान करेगा.
इस विधेयक पर वर्ष 2009 में विधानसभा में कई बार चर्चा हुई. इस वर्ष मानसून सत्र में इस विधेयक को फिर से पेश किए जाने की उम्मीद थी.
समाज सुधारक दाभोलकर अपने दृढ विचारों और अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे थे.
1989 में उन्होंने समान विचार वाले लोगों के साथ मिलकर महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति (एमएएनएस) की स्थापना की और हर तरह के अंधविश्वास के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी थी.