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गीतांजली श्री को हिंदी उपन्यास के लिए बुकर

रायपुर | संवाददाता: हिंदी की जानी-मानी उपन्यासकार गीतांजली श्री को इस साल का बुकर पुरस्कार दिया गया है.यह पुरस्कार उनके उपन्यास ‘रेत समाधि’ के अनुवाद को दिया गया है. रेत समाधि का अनुवाद ‘टूंब ऑफ़ सैंड’ नाम से डेज़ी रॉकवेल ने किया है जिसे ‘टिल्टेड एक्सिस’ ने प्रकाशित किया है.

गीतांजली श्री ने बुकरप्राइज़ डॉट कॉम के अपने साक्षात्कार में, उन्हें समृद्ध करने वाले हिंदी लेखको के नाम गिनाते हुए छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में रहने वाले शीर्ष हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का भी उल्लेख किया.

पुरस्कार स्वीकार करने के लिए दी गई अपने भाषण में गीतांजलि श्री ने कहा, “मैंने कभी इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ जीतने की कल्पना नहीं की थी. कभी सोचा ही नहीं कि मैं ये कर सकती हूँ. ये एक बड़ा पुरस्कार है. मैं हैरान, प्रसन्न , सम्मानित और विनम्र महसूस कर रही हूँ.”

उन्होंने कहा, “मैं और ये पुस्तक दक्षिण एशियाई भाषाओं में एक समृद्ध साहित्यिक परंपरा से जुड़े हैं. विश्व साहित्य इन भाषाओं के कुछ बेहतरीन लेखकों से परिचित होकर समृद्ध होगा.”

इंटरनेशनल बुकर प्राइज़ देने वाली संस्था ने कहा, “टूंब ऑफ़ सैंड इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार जीतने वाली किसी भी भारतीय भाषा में मूल रूप से लिखी गई पहली किताब है. और हिंदी से अनुवादित पहला उपन्यास. टूंब ऑफ़ सैंड उत्तर भारत की कहानी है जो एक 80 वर्षीय महिला के जीवन पर आधारित है. ये किताब ऑरिजिनल होने के साथ-साथ धर्म, देशों और जेंडर की सरहदों के विनाशकारी असर पर टिप्पणी है.”

इसका अंग्रेज़ी अनुवाद मशहूर अनुवादक डेज़ी रॉकवेल ने किया है.

50,000 पाउंड यानी क़रीब 50 लाख रुपये के साहित्यिक पुरस्कार के लिये पांच अन्य किताबों से इसकी प्रतिस्पर्धा हुई. पुरस्कार की राशि लेखिका और अनुवादक के बीच बराबर बांटी जाएगी.

गीतांजली श्री ने बुकरप्राइज़ डॉट कॉम के अपने साक्षात्कार में, उन्हें समृद्ध करने वाले हिंदी लेखको के नाम गिनाते हुए रायपुर में रहने वाले शीर्ष हिंदी साहित्यकार विनोद कुमार शुक्ल का भी उल्लेख किया.

उन्होंने कहा कि कृष्णा सोबती, निर्मल वर्मा, इन्तिज़ार हुसैन, कृष्ण बलदेव वैद, श्रीलाल शुक्ल, विनोद कुमार शुक्ल ने उन्हें समृद्ध किया. हिंदी के अलावा कूटसी, दॉस्तोएव्स्की, हालडर लैक्सनेस, हेमिंग्वे, गार्सीअ मार्क्वेज़, कुंदेरा, बोर्हेस, ओसामु दज़ाई, ऐलिस मनरो, तनिज़की आदि के नाम उन्होंने गिनाए, जिनसे वे प्रेरित होती रही हैं.

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