कालीचरण ने कहा-मैं साधु नहीं
रायपुर | संवाददाता: सोशल मीडिया की सनसनी बन कर पिछले साल ही उभरे कालीचरण की इस साल गिरफ़्तारी के बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह कालीचरण की राजनीति की दूसरी पारी होगी?
कालीचरण ने 2017 में हुए अकोला नगर निकाय चुनाव में वार्ड नंबर 10 डी से चुनाव लड़ा था. लेकिन पार्षद के चुनाव में कालीचरण को बुरी तरह से पराजित होना पड़ा था.
अकोला पश्चिम से विधानसभा चुनाव को लेकर भी कालीचरण का नाम चर्चा में आया था लेकिन अंतिम समय में कहा गया कि पार्षद का चुनाव हार चुके व्यक्ति को विधानसभा चुनाव में उतारना ठीक नहीं होगा.
48 साल के कालीचरण को पहली बार बड़ी चर्चा पिछले साल मिली, जब कालीचरण का मप्र के भोजपुर के मंदिर में शिव तांडवस्रोत गाते हुए एक वीडियो वायरल हुआ. इस इंटरनेट सनसनी ने कालीचरण को देश दुनिया में चर्चित कर दिया.
अनुपम खेर जैसे कुछ लोगों ने कालीचरण का यह वीडियो साझा किया तो कालीचरण को आयोजनों में बुलाया जाने लगा.
रायपुर में खुद ही कहा-मैं तो साधु भी नहीं हूं.
रायपुर के धर्म संसद में भी मंच से कालीचरण का परिचय पिछले साल सोशल मीडिया पर चर्चित वीडियो वाले कालीचरण के रुप में कराया गया.
कालीचरण ने मंच पर चढ़ने के बाद माइक संभाला और साफ़ साफ़ कहा- “मुझे संतों के बीच में बैठाकर आपलोगों ने… मैं संत तो हूं ही नहीं. साधु-संत मैं नहीं हूं. महापुरुष नहीं हूं.”
आठवीं तक की पढ़ाई
अकोला के धनंजय सराग के बेटे अभिजीत धनंजय सराग ने आठवीं तक की पढ़ाई की है. पिता का मेडिकल स्टोर का कारोबार है.
अपनी मौसी के घर इंदौर में पढ़ाई के लिए गये अभिजीत सराग, चर्चित धर्मगुरु भय्यूजी महाराज के आश्रम जाने लगे.
उनके गुरु भय्यूजी महाराज ने 2018 में कथित रुप से गोली मार कर आत्महत्या कर ली थी.
इसी बीच अभिजीत ने साधु वेश धारण कर लिया.
इसी अभिजीत धनंजय सराग को अब कालीचरण महाराज के नाम से जाना जाता है.