बस्तर

डायरिया ने बस्तर संभाग में लीं 67 जानें

जगदलपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में उल्टी, दस्त, डायरिया जैसी बीमारियों ने पिछले तीन हफ्तों के भीतर ही 67 ग्रामीण आदिवासियों को मौत का शिकार बनाया है. गंदा, दूषित और हानिकारक भूगर्भीय रसायन युक्त जल सेवन की उनकी मजबूरी ही उनकी मौतों की वजह है. डायरिया से सबसे ज्यादा प्रभावित जिले बीजापुर, नारायणपुर और दंतेवाड़ा हैं.

लोकस्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री के इलाका होने के बावजूद शुद्ध जल की जन-जन तक आपूर्ति में प्रशासन लगातार असफल सिद्ध हो रहा है. जगह-जगह फ्लोराइड शोधन, जलशोधन संयंत्रों बाबत बोर्ड तो लगे हैं, पर वहां या तो संयंत्र हैं ही नहीं अथवा बिगड़े हुए हैं.

40 प्रतिशत हैंडपंप बिगड़ें, बंद या दूषित पानी देने वाले है फिर किसी ठोस सकारात्मक पहल का अभाव और जल जनित बीमारियों से होने वाली मौतें, प्रशासन, लोकस्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग एवं स्वास्थ्य विभाग की असफलता का प्रत्यक्ष प्रमाण है.

आधिकारिक जानकारी के अनुसार 25 जुलाई से अब तक मात्र तीन सप्ताह के भीतर बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले में 24 लोग, दंतेवाड़ा जिले में 8 लोग तथा बीजापुर जिले में 35 लोग डायरिया के चलते मौत के शिकार हो चुके हैं. इनके अलावा भी संभाग के विभिन्न स्थानों में उल्टी, दस्त जैसी बीमारी के चलते कई मौतों की खबर है. मृतकों में महिलाएं एवं बच्चे भी शामिल हैं.

स्वास्थ्य विभाग का अमला क्षेत्रीय दुरूहता के चलते इन जिलों के सभी प्रभावित गांवों तक पहुंच पाने में असफल साबित हुआ है. जैसे बीजापुर जिले के भैरमगढ़ विकासखण्ड के एक प्रभावित गांव डालेर में तो स्वास्थ्य कैंप लगाया परंतु क्षेत्र के इंद्रावती नदी के उस पार बसे गांव बेथधरमा, गोरेमेटा, ताकीलोड तथा उतला के प्रभावितों के उपचार के लिए वहां तक स्वास्थ्य विभाग ही नहीं पहुंच सका. कारण नदी तट से डालेर तक नक्सलियों द्वारा जगह जगह खोदे गड्ढे बताए गए.

इसी प्रकार नारायणपुर जिले के दुरूह अंचल अबूझमाड़ के तहत आने वाले डूंगा, हांदावाड़ा, पोचावाड़ा, झरनवाही जैसे पंचायत क्षेत्रों के प्रभावित गांवों तक स्वास्थ्य अमला भेजा तो गया पर समय पर पहुंच पाया या नहीं, यह बात प्रशासन बता पाने में स्वयं ही असमर्थ रहा. असमर्थता की वजह समुचित संचार सुविधा का अभाव बताया गया.

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