संपत्तिकर नहीं हुआ आधा
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में संपत्तिकर को शहरी क्षेत्रों में न्यूनतम 50 प्रतिशत तक कम करने की कोई उम्मीद नज़र नहीं आ रही है. सरकार के दो साल गुजरने के बाद अब नगरीय प्रशासन मंत्री निगमों की कम कमाई और 14वें वित्त आयोग का हवाला दे रहे हैं.
कांग्रेस पार्टी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि वह अगर सत्ता में आई तो संपत्तिकर में कम से कम 50 फ़ीसदी की कमी करेगी. मतलब ये कि कांग्रेस पार्टी की योजना संपत्तिकर को 50 फीसदी से भी कम करने की थी.
ग्रामीण इलाकों में इसे पूरी तरह ख़त्म करने की बात कही गई थी.
लेकिन राज्य सरकार के दो साल पूरे होने के बाद भी इस घोषणा का कहीं अता-पता नहीं है.
राज्य के नगरीय प्रशासन मंत्री डॉ. शिव डहरिया का कहना है कि भाजपा ने अपने शासनकाल में 100 प्रतिशत संपत्तिकर बढ़ाने का आदेश जारी किया था. हमारी सरकार ने इसे रद्द कर दिया. इस तरह संपत्तिकर पहले की तुलना में कम हो गया.
डॉ. शिव डहरिया का कहना है कि अगर राज्य सरकार संपत्तिकर को आधा करती तो उसे 14वें वित्त आयोग की अनुशंसा से मिलने वाली 100 करोड़ की रकम भी नहीं मिलती.
अधिकारियों का कहना है कि आज की तारीख़ में रायपुर, कोरबा और धमतरी नगर निगम को छोड़ कर शेष नगर निगमों बिलासपुर, दुर्ग, सरगुजा और राजनांदगांव में कमाई से अधिक खर्च है. बिलासपुर नगर निगम में लगभग 50 करोड़ की आय होती है, जबकि खर्च 70 करोड़ रुपये होता है.
इसी तरह दुर्ग में 20 करोड़ आय की तुलना में खर्च 30 करोड़, सरगुजा में 11 करोड़ की आय की तुलना में 17 करोड़ और राजनांदगांव में 149 करोड़ आय की तुलना में 180 करोड़ रुपये का खर्च है.