कृषि क़ानून से नाराज़ सिख ने आत्महत्या की
नई दिल्ली | डेस्क: कृषि क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे एक सिख बुजुर्ग ने गोली मार कर आत्महत्या कर ली. मौके पर उपस्थित लोगों के अनुसार
कथित रुप से कृषि क़ानूनों पर केंद्र सरकार के रवैये से नाराज़ होकर सिख संत राम सिंह सिंघरा ने ख़ुद को गोली मारकर अपनी जान दे दी है.
65 साल के राम सिंह सिंघरा ने दिल्ली-हरियाणा के सिंघु बॉर्डर पर बुधवार शाम अपनी जान दी.
राम सिंह हरियाणा के करनाल गांव के रहने वाले थे.
बताया जाता है कि अपने सुसाइड नोट में उन्होंने लिखा है कि वह सरकार के रवैये के विरोध में अपनी जान दे रहे हैं: ‘किसानों का दुख देखा. वो अपना हक लेने के लिए सड़कों पर हैं. बहुत दिल दुखा है. सरकार न्याय नहीं दे रही. जुल्म है. जुल्म करना पाप है, जुल्म सहना भी पाप है. किसी ने किसानों के हक में और जुल्म के खिलाफ कुछ नहीं किया. कइयों ने सम्मान वापस किए. यह जुल्म के खिलाफ आवाज है और कीर्ति-किसानों के हक में आवाज है. वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतह!’
हालांकि पुलिस ने अभी इस बारे में जानकारी होने से अनभिज्ञता जताई है.
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उनकी मौत पर दुख जताया है.
Extremely shocked and saddened on learning of the tragic news of Sant Ram Singh ji of Nanaksar Singhra wale from Karnal ending his life at Singhu Border in protest against the Centre’s Farm Laws. My prayers are with his family and supporters in this time of grief.🙏 pic.twitter.com/xcAftiWvwc
— Capt.Amarinder Singh (@capt_amarinder) December 16, 2020
इधर दिल्ली और आसपास के इलाकों में हो रहे किसान आंदोलन के प्रदर्शनकारियों को हटाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आठ किसान संगठनों को पक्षकार बनने की इजाजत दे दी है.
ये संगठन हैं- भारतीय किसान यूनियन (राकेश टिकैत), बीकेयू-सिधुपुर (जगजीत एस दल्लेवाल), बीकेयू-राजेवाल (बलबीर सिंह राजेवाल), बीकेयू- लाखोवाल (हरिंदर सिंह लाखोवाल), जम्हूरी किसान सभा (कुलवंत सिंह संधू), बीकेयू-डाकौंडा (बूटा सिंह बुर्जगिल), बीकेयू-दोआब (मनजीत सिंह राय) और कुल हिंद किसान फेडरेशन (प्रेम सिंह भंगू).
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की गुरुवार को सुनवाई होनी है.