कृषि विधेयकों पर हंगामा करने वाले 8 सांसद निलंबित
नई दिल्ली | डेस्क: राज्यसभा में असंसदीय आचरण को लेकर 8 सांसदों को एक सप्ताह के लिये निलंबित कर दिया गया है. राज्यसभा स्पीकर वेंकैया नायडू ने कल हंगामा करने वाले 8 सांसदों को सात दिनों के लिए निलंबित कर दिया है.
जिन सांसदों को निलंबित किया गया है, उनमें तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन और डोला सेन सहित आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, कांग्रेस के राजीव साटव, सैयद नासिर हुसैन, रिपुन बोरा और सीपीआई (एम) से केके रागेश और एल्मलारान करीम के नाम हैं.
गौरतलब है कि विपक्ष के जोरदार हंगामें के बीच कृषि सुधार से संबंधित दो बिल राज्यसभा में ध्वनि मत से पारित कर दिये गये. इसे लेकर विपक्षी दलों के सांसदों ने रविवार को राज्यसभा में जम कर हंगामा किया था. टीएमसी नेता डेरिक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने जाकर रूल बुक दिखाने की कोशिश की थी. लेकिन मत विभाजन जैसी मांग को अस्वीकार करते हुये कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020 और कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) क़ीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर क़रार विधेयक, 2020 पारित किए गए.
नाराज़ विपक्षी दल बिल के पारित होने के बाद राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव ले आए. उपसभापति पर कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बिल पर चर्चा के दौरान उनके रवैये ने लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाया है.
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद अहमद पटेल ने कहा, “राज्यसभा के उप सभापति को लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करनी चाहिए, लेकिन इसके बजाय, उनके रवैये ने आज लोकतांत्रिक परंपराओं और प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाया है.”
शाम 7.30 बजे केंद्र सरकार की तरफ़ से छह मंत्रियों ने इसे लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, रेल एवं वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नक़वी, केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावर चंद्र गहलोत मौजूद थे.
राजनाथ सिंह ने कहा, “राज्यसभा में जो हुआ वो दुखद था, दुर्भाग्यपूर्ण और अत्यधिक शर्मनाक था. डिप्टी चेयरमैन के साथ दुर्वव्यहार हुआ है. हरिवंश जी की मूल्यों के प्रति विश्वास रखने वाली छवि है. सीधे आसन तक जाना रूल बुक को फाड़ना, अन्य कागजात फाड़ना, आसन पर चढ़ना. संसदीय इतिहास में ऐसी घटना न लोकसभा में हुई न राज्यसभा में.”
उन्होंने कहा कि उपसभापति से साथ आचरण की जितनी भर्त्सना की जाए कम है, उनकी छवि पर आंच आई है, संसदीय गरिमा को ठेस पहुंची है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष ने जो नोटिस दिया है उस पर फ़ैसला सभापति ही करेंगे.
विपक्ष का आरोप है कि वोटों के डिविजन की बात नहीं मानी गई. इससे जुड़े एक सवाल पर प्रेस कांफ़्रेंस में मौजूद केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कहा, “जिस समय उपसभापति ने अलग अलग एमेंडमेंट पर डिविज़न के लिए कहा, उस समय वो सारे लोग वेल में थे, वहां हंगामा ही नहीं कर रहे थे, एक तरह से माइक तोड़ डाले थे, माइक हाथ में लेकर एक तरह से वायलेंट अप्रोच था उनका.”
उन्होंने कहा, “बार बार उपसभापति ने कहा कि आप अगर डिविज़न चाहते हैं, तो आपको अपनी सीट पर जाना ही चाहिए, लेकिन कोई नहीं गया. वो तो राज्यसभा के स्टाफ़ की मेज़ पर थे, एक दूसरे के कंधों पर चढ़कर नारेबाज़ी कर रहे थे.”
इसके बाद कांग्रेस ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बिल को किसानों की पीठ में छुरा घोंपने जैसा बताया. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा कि यह 73 वर्षों में हमारे लोकतंत्र का सबसे काला दिन है.
वहीं केसी वेणुगोपाल ने कहा कि केंद्र सरकार राजनीतिक दलों, किसानों और संसद को नहीं सुन रही है.
उन्होंने कहा, “जयराम रमेश ने अनुरोध किया कि मंत्री कल उत्तर दे सकते हैं लेकिन उपसभापति ने नहीं माना. ऐसा पहले कभी नहीं हुआ और राजनाथ सिंह ने उपसभापति के काम की निंदा करने की बजाय उनके कार्यों के सही ठहराया है.”