झीरम कांड की जांच एनआईए को नहीं
रायपुर | संवाददाता : छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित झीरम घाटी कांड में बस्तर की अदालत ने मामले की नई एफआईआर जांच के लिये एनआईए को सौंपने से मना कर दिया है. एनआईए ने इसके लिये जून में जगदलपुर की अदालत में आवेदन दिया था. अदालत ने कहा है कि मामले की जांच राज्य पुलिस ही करेगी.
गौरतलब है कि 2013 में माओवादियों ने बस्तर की झीरम घाटी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता नंद कुमार पटेल, महेंद्र कर्मा, दिनेश पटेल और वीसी शुक्ला सहित 28 लोगों को मार डाला था. इस मामले की जांच एनआईए कर रही है. मामले की जांच सीबीआई से भी कराने की बात हुई थी, लेकिन मामला अटक गया.
एनआईए आज तक जांच पूरी नहीं कर पाई. इसके बाद 2018 में भूपेश बघेल ने सत्ता में आते ही मामले की जांच के लिये एसआईटी गठित की थी. लेकिन एनआईए ने एसआईटी को जांच से संबंधित कागजात सौंपने से इंकार कर दिया.
इसके बाद झीरम घाटी हमले में मारे गये कांग्रेस नेता उदय मुदलियार के बेटे, जितेन्द्र मुदलियार ने 25 माई 2020 को बस्तर में अलग से एफआईआर दर्ज कराई थी. इसके बाद एनआईए ने 16 जून को जगदलपुर एनआईए अदालत में एक आवेदन दिया, जिसमें मुदलियार द्वारा दर्ज मामले को आगे की जांच के लिए एनआईए को सौंपने की मांग की गई.
इस मामले की सुनवाई के दौरान राज्य पुलिस ने अदालत में तर्क दिया कि यह मामला 2013 के मामले से अलग है, क्योंकि नया मामला मुख्य रूप से घटना के साजिश के कोण की जांच करेगा. इसके बाद जगदलपुर एनआईए अदालत ने आगे की जाँच के लिए दर्ज एफआईआर को एनआईए को स्थानांतरित करने की मांग को अस्वीकार कर दिया.
हालांकि एनआईए के वकील ने कहा है कि कि एजेंसी राज्य उच्च न्यायालय में आदेश को चुनौती देगी. एनआईए के वकील का तर्क है कि एनआईए अधिनियम और सीआरपीसी के अनुसार, एक ही अपराध के लिए दो एफआईआर नहीं हो सकती हैं और यह एनआईए के अधिकार क्षेत्र में आता है क्योंकि एजेंसी पहले से ही एक ही अपराध से संबंधित मामले की जांच कर रही है.