पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति का विज्ञापन रद्द
रायपुर | संवाददाता: रायपुर के पत्रकारिता विश्वविद्यालय में कुलपति पद पर आरएसएस की पृष्ठभूमि के बल्देवभाई शर्मा की राज्यपाल द्वारा की गई नियुक्ति पर तलवार लटक गई है. राज्य सरकार ने एक मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में कहा है कि कुलपति पद का विज्ञापन, चयन से पहले ही रद्द कर दिया गया था. ऐसे में किसी की इस पद पर नियुक्ति नहीं की जा सकती.
गौरतलब है कि इस सप्ताह राज्यपाल अनूसुइया उइके ने रायपुर के कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में बल्देवभाई शर्मा की कुलपति पद पर नियुक्ति का आदेश जारी किया था. इसे लेकर विवाद शुरु हो गया था.
राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संघ की पृष्ठभूमि वाले बल्देवभाई शर्मा की नियुक्ति को लेकर टिप्पणी की थी कि राज्यपाल ने अपना काम किया है, हम अपना काम करेंगे.
रायपुर के कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पिछले साल मार्च से कुलपति का पद रिक्त था. विश्वविद्यालय के कुलपति एमएस परमार के इस्तीफ़े के बाद से ही नये कुलपति के लिये कई नाम चर्चा में थे.
इससे पहले इस पद पर जाने-माने पत्रकार उर्मिलेश की नियुक्ति की चर्चा थी. इसके अलावा कुछ और नाम भी चर्चा में थे.इनमें कुछ नाम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पसंद के भी थे. लेकिन राज्यपाल अनुसुइया उइके ने सारे नामों को खारिज़ कर बल्देव भाई शर्मा के नाम पर मुहर लगा दी थी.
इससे पहले नवंबर में कुलपति के चयन के लिये एक कमेटी बनाई गई थी. इस कमेटी में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से नामित केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश के कुलपति कुलदीप चंद अग्निहोत्री को अध्यक्ष बनाया गया था.
इसके अलावा पत्रकारिता विश्वविद्यालय राजस्थान के कुलपति व वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी, हरिदेश जोशी और आईएफएस अधिकारी डॉ. के सुब्रह्मण्यम इस चयन समिति में शामिल थे.
सूत्रों का कहना है कि इस चयन समिति ने कुल तीन नाम कुलपति पद के लिये राज्यपाल को सौंपे थे. लेकिन राज्य सरकार की पसंद को खारिज़ कर राज्यपाल ने बल्देवभाई शर्मा को कुलपति पद पर नियुक्त करने का आदेश जारी कर दिया था.
अब हाईकोर्ट में कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति पद को लेकर ही चल रहे एक मामले की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने यह दावा किया कि कुलपति पद के लिये जारी विज्ञापन ही रद्द कर दिया गया था. ऐसे में इस पद पर किसी की नियुक्ति नहीं की जा सकती.
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में पुराने कुलपति के इस्तीफ़े के बाद से यहां प्रभारी कुलपति की नियुक्ति की गई थी. इसे लेकर विश्वविद्यालय के ही प्रोफेसर शाहिद अली ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी और कहा था कि प्रभारी कुलपति के पद पर किसी की नियुक्ति 6 महीने के लिये ही की जा सकती है.
उन्होंने अपने को कुलपति पद का दावेदार बताया था.
बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान सरकार ने हाईकोर्ट को बताया कि कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति पद के लिये जारी विज्ञापन को ही रद्द कर दिया गया है. ऐसे में इस पद पर नियुक्ति नहीं की जा सकती.
इधर चर्चा है कि राज्य सरकार राज्यपाल के अधिकार को कम करने के लिये कोई अध्यादेश ला सकती है.