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एक-एक बाघ पर पौन करोड़ का खर्चा

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ सरकार ने पिछले चार साल में एक-एक बाघ पर पौन-पौन करोड़ रुपये खर्च किये. आंकड़े बताते हैं कि सरकार ने बाघों के नाम पर 34 करोड़ रुपये से भी अधिक की रकम खर्च कर दी. लेकिन इन चार सालों में बाघों की संख्या बढ़ने के बजाये और घट गई.

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि 2015-16 में राज्य सरकार ने केवल तीन प्रोजेक्ट टाइगर पर 4,75,29,281 रुपये खर्च किये थे. इसी तरह 2016-17 में राज्य सरकार ने 10,63,91,388 रुपये खर्च किये. अगले साल रिकार्ड टूट गया और 2017-18 में 11 करोड़ 97 लाख 37 हज़ार, 482 रुपये खर्च किये गये. 2018-19 में राज्य सरकार ने 7 करोड़, 36 हज़ार, 407 रुपये खर्च किये.

अगर बाघों की संख्या देखें तो राज्य सरकार ने इन चार सालों में 2014 की गणना के अनुसार 46 बाघों पर कुल जमा 34 करोड़ 36 लाख, 94 हज़ार, 558 रुपये खर्च किये. यानी एक-एक बाघ पर राज्य सरकार ने 74 लाख 71 हज़ार 620 रुपये खर्च किये.

लेकिन प्रति बाघ पौन करोड़ रुपये खर्च करने के बाद भी 2014 में 46 बाघों वाले छत्तीसगढ़ में 2018 में केवल 19 बाघ रह गये.

रविवार को राज्य सरकार ने गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिज़र्व बनाने के अपने फैसले पर मुहर लगा दी है. लेकिन लाख टके का सवाल है है कि क्या इस तरह की कोशिश बाघों की संख्या को बढ़ा पायेगी?

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