शराबबंदीः नहीं बना अध्ययन दल
रायपुर | डेस्क: छत्तीसगढ़ सरकार ने शराबबंदी को लेकर 60 दिन के भीतर रिपोर्ट पेश करने का दावा किया था. लेकिन 40 दिन गुजरने के बाद सरकार शराबबंदी पर अध्ययन दल तक गठित नहीं कर पाई है. मंगलवार को विधानसभा में यह जानकारी सामने आई. हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सदन में दावा किया कि राज्य में पूर्ण शराबबंदी तो होगी.
गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणापत्र में शराबबंदी का वादा किया है. लेकिन इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हुई है. राज्य में देशी शराब की 373 और विदेशी शराब की 323 दुकानें संचालित हैं. पिछली भाजपा सरकार ने खुद ही शराब बेचने का निर्णय लिया था और कांग्रेस सरकार भी इसी नीति के तहत खुद ही शराब की बिक्री कर रही है. इस वित्तीय वर्ष में दिसंबर 2018 तक राज्य सरकार को शराब बेचने से 3188.63 करोड़ रुपये की आय हुई थी. राज्य की भूपेश बघेल सरकार ने नये वर्ष में लगभग 5000 करोड़ राजस्व का लक्ष्य रखा है.
2017 में राज्य की भाजपा सरकार ने राज्य में शराबबंदी को लेकर 11 सदस्यीय अध्ययन दल का गठन किया था. भाजपा सरकार के अंतिम कार्यकाल के अंतिम दिनों में इस दल की रिपोर्ट सामने आई थी. आरोप है कि इस रिपोर्ट में शराबबंदी के बजाये शराब की बिक्री बढ़ाये जाने, महंगी शराब बेचने का प्रस्ताव था.
राज्य में आई कांग्रेस पार्टी की सरकार ने इस रिपोर्ट को खारिज कर नये सिरे से अध्ययन की बात कही थी.
दो जनवरी को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे. मंत्रिपरिषद ने शराबबंदी के बारे में वाणिज्यिक-कर आबकारी विभाग के तत्कालीन 11 सदस्यीय अध्ययन दल की रिपोर्ट को अव्यवहारिक मानते हुए खारिज करने और नया अध्ययन दल गठित करने का निर्णय लिया था. बैठक में कहा गया था कि नवीन अध्ययन दल के द्वारा राज्य सरकार को दो माह के भीतर अपनी रिपोर्ट दी जाएगी.
लेकिन अब इस बात को 40 दिन से अधिक हो चुके हैं और राज्य सरकार की जांच रिपोर्ट की कौन कहे, राज्य में इस विषय पर अध्ययन दल तक नहीं बन पाया है. राज्य के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री कवासी लखमा ने बताया कि शासन ने भाजपा सरकार की रिपोर्ट को खारिज करने के बाद पुनः शराबबंदी पर समिति बनाने का निर्णय लिया था लेकिन अभी तक कोई समिति गठित नहीं की गई है.
चढ़ती गई शराब
राज्य बनने के बाद से छत्तीसगढ़ में देसी शराब की खपत 2002-03 में जहां 188.12 लाख प्रूफलीटर थी, वह 10 साल बाद 2012-13 में 395.19 लाख प्रूफलीटर हो गई. वहीं जिस छत्तीसगढ़ में 130.04 लाख लीटर विदेशी शराब खपती थी, वहां अब यह बढ़कर 592.89 लाख लीटर हो गई.
राज्य सरकार को इस दौरान 362.48 करोड़ रुपये की आय होती थी, जो 2012-13 में 2485.73 करोड़ रुपये हो गई.
राज्य सरकार को शराब बिक्री से 2014-15 में 2449.30 करोड़, 2015-16 में 2911.31 करोड़, 2016-17 में 3307.65 करोड़, 2017-18 में 3908.78 करोड़ और 2018-19 में 30 नवंबर तक 2784.03 करोड़ रुपये की आय हुई है.