युवा शटलर सिंधु ने छुईं नई उंचाईयां
नई दिल्ली | एजेंसी: भारतीय बैडमिंटन की नई स्टार पी. वी. सिंधु ने हाल ही में कहा था कि वह विश्व की शीर्ष खिलाड़ी बनना चाहती हैं, और चीन के क्वांगचो में विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य जीतकर उन्होंने ये बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि वह अपने लक्ष्य की ओर सफलतापूर्वक कदम बढ़ा रही हैं.
इस जीत के साथ सिंधु विश्व चैम्पियनशिप के महिला एकल वर्ग में पदक जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं.
विश्व चैम्पियनशिप में शनिवार को हालांकि सिंधु को तीसरी विश्व वरीयता प्राप्त थाईलैंड की रातचानोक इंतानोन के हाथों 21-10, 21-13 से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने देश को महिला एकल वर्ग में देश को कांस्य पदक दिलाकर देश को गौरवान्वित किया है.
वर्तमान विश्व चैम्पियनशिप में हालांकि सिंधु ने इससे पहले मौजूदा चैम्पियन तथा पांचवी विश्व वरीय चीन की यिहान वांग को तथा एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता चीन की ही आठवीं विश्व वरीय शिजियान वांग को हराकर सनसनी फैला दी थी.
विश्व चैम्पियनशिप में शानदार प्रदर्शन करने वाली सिंधु की वर्तमान रैंकिंग 12वें स्थान से दो स्थान ऊपर 10वें स्थान पर पहुंच गई है.
सिंधु से पहले भारत ने इस चैम्पियनशिप में सिर्फ दो पदक जीते थे. 1983 में प्रकाश पादुकोण ने कोपेनहेगन में कांस्य जीता था जबकि उसके 28 साल बाद ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की जोड़ी ने 2011 में लंदन में महिला युगल का कांस्य हासिल किया था.
सिंधु की उपलब्धि से प्रसन्न उनके पिता पी. वी. रमन्ना ने कहा, “पूरा देश उसके जीतने की कामना कर रहा था. लेकिन उसे कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा. फिर भी पदक तो पदक ही होता है. हमें बेहद प्रसन्नता है कि उसने देश के लिए पदक जीता.”
सिंधु के अर्जुन पुरस्कार विजेता पिता ने आगे कहा, “यह उसका पहला विश्व चैम्पियनशिप था. उसने बहुत कम उम्र में यह उपलब्धि हासिल कर ली है. हमें पूरा विश्वास है कि भविष्य में वह और अच्छा करेगी.”
सिंधु के माता-पिता दोनों वॉलीबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं. रमन्ना के मुताबिक खेल के प्रति सिंधु की संजीदगी, समर्पण और सादगी ही उनकी सफलता का राज है.
रमन्ना कहते हैं कि पुलेला गोपीचंद जैसे प्रशिक्षक, भारतीय बैडमिंटन संघ के सहयोग, ओलम्पिक गोल्ड क्वेस्ट तथा सचिन तेंदुलकर की संयुक्त स्वामित्व वाली कंपनी युनिवर्सन कलेक्टैबिलिया ने सिंधु को प्रोत्साहित किया. भारत पेट्रोलियम द्वारा दी गई नौकरी के कारण भी सिंधु को काफी मदद मिली, तथा भारत पेट्रोलियम ने अब सिंधु को पदोन्नति देने की भी घोषणा की है.
पिछले वर्ष एशियाई युवा चैम्पियनशिप जीतकर सिंधु ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा की आहट दे दी थी.
सिंधु ने बताया, “बैडमिंटन मेरी पसंद है. पापा ने मुझे वॉलीबॉल या कोई और खेल खेलने का दबाव नहीं डाला. उन्होंने इसका निर्णय मुझ पर छोड़ दिया और मुझे खूब प्रोत्साहित किया.”
पी. वी. सिंधु की कुछ उपलब्धियां:
-2009 में कोलम्बो में सब जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैम्पियनशिप में कांस्य
-2010 में ईरान में फाजिर अहमद अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट में रजत
-2010 में मेक्सिको में आयोजित जूनियर वर्ल्ड बैडमिंटन चैम्पियनशिप के क्वार्टर फाइनल में पहुंचीं
-2010 में उबेर कप के लिए भारतीय राष्ट्रीय टीम में शामिल
-जुलाई 2012 में एशिया यूथ अंडर-19 चैम्पियनशिप में पहला स्थान
-2012 चाइना मास्र्ट्स सुपर सीरीज टूर्नामेंट के सेमीफाइनल में पहुंचीं
-2012 में राष्ट्रीय चैम्पियनशिप में उपविजेता
-दिसम्बर 2012 में लखनऊ में आयोजित सैयद मोदी इंडिया ग्रां प्री गोल्ड टूर्नामेंट में उपविजेता
-2013 में मलेशिया ओपन खिताब जीता, करियर का पहला ग्रैंड प्रिक्स गोल्ड खिताब