कृषि विकास योजना का बजट रह गया एक तिहाई
रायपुर | संवाददाता: केंद्र सरकार की कृषि संबंधी योजनायें लगातार बजट की कटौती से जूझ रही हैं. राष्ट्रीय कृषि विकास योजना यानी आरकेवीवाई का नाम बदल कर उसे भले रफ्तार नाम दे दिया गया हो लेकिन हकीकत ये है कि इस योजना का बजट केंद्र सरकार ने 50 फीसदी से भी कम कर दिया है. हालांकि केंद्र सरकार का दावा है कि राज्यों को दिये जाने वाली रकम सौ फीसदी से घटाकर 60 फीसदी कर दी गई है.
2012-13 में इस योजना पर केंद्र सरकार ने 8400 करोड़ रुपया खर्च किया था लेकिन केंद्र में सत्ता संभालने के बाद नई सरकार ने बजट कम कर दिया. 2016-17 में इस योजना में महज 3892.04 करोड़ रुपये ही खर्च किये गये हैं. छत्तीसगढ़ को 2012-13 में 581.12 करोड़ रुपये मिले थे लेकिन 2016-17 में यह केवल 200.30 करोड़ रह गया.
भारत सरकार ने केंद्र प्रायोजित राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (Rashtriya Krishi Vikas Yojna-RKVY) का नाम बदल कर राष्ट्रीय कृषि विकास योजना-कृषि और संबंधित क्षेत्र पुनर्रुद्धार लाभकारी दृष्टिकोण आरकेवीवाई-रफ्तार (Rashtriya Krishi Vikas Yojna-Remunerative Approaches for Agriculture and Allied sector Rejuvenation-RKVY-RAFTAAR) कर दिया. लेकिन बढ़ती कीमतों के दौर में केंद्र ने इस योजना के मद में बजट आवंटन और कम कर दिया.
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना 11वीं पंचवर्षीय योजना से जारी है. इस योजना में राज्यों को कृषि क्षेत्र में व्यय को प्रोत्साहित करने के लिये योजना निर्माण और कार्यान्वयन में पर्याप्त स्वायत्तता दी गई है. राज्य विकेन्द्रित योजना निर्माण के तहत कृषि जलवायु की दशाओं, प्राकृतिक संसाधनों और प्रौद्योगिकियों पर ध्यान देते हुए ज़िला कृषि योजना बनाते हैं, जो स्थानीय आवश्यकताओं, फसल पैटर्न और प्राथमिकताओं को सुनिश्चित करती है. इस योजना में राज्य अपनी स्वायत्तता से समझौता किये बिना उपयोजना के माध्यम से राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को जारी रखते हैं.
इस योजना के तहत राष्ट्रीय प्राथमिकताओं जैसे पूर्वी भारत में हरित क्रांति, फसल विविधीकरण योजना, मृदा सुधार योजना, रोग नियंत्रण कार्यक्रम, केसर मिशन, त्वरित चारा विकास कार्यक्रम, आदि उप-योजनाएँ चलाई जाती हैं.
देश के कृषि कल्याण राज्य मंत्री परषोत्तम रूपाला के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा 2012-13 में 9217 करोड़ रुपये, 2013-14 में 9954 करोड़, 2014-15 में 9954 करोड़, 2015-16 में 4500 करोड़ और 2016-17 में 5400 करोड़ रुपये आवंटित किया गया. हालत ये है कि 2012-13 के 9217 करोड़ के मुकाबले 2018-19 का बजट अनुमान केवल 3100 करोड़ रुपये है.