पैडमैन और हैशटैग
प्रियंका | फेसबुक: पैडमैन से पहले अक्षय को कभी नहीं लगा कि पीरियड्स के बारे में बात करनी चाहिये!! उनकी बीवी को भी नहीं लगा, पद्मावत दीपिका को भी नहीं लगा!! अचानक फ़िल्म के आते ही पीरियड्स सबके लिए नार्मल हो गये और सभी ज्ञान देने लगे जैसे अमिताभ ने पिंक फ़िल्म से पहले अपनी पोती और नातिन को दिया था.
पैड हाथों में लेकर जो महिलाएं हैशटैग में पैडमैन लिख रही हैं, उन्हें क्यों लगता है कि अक्षय पीरियड्स को सामान्य ले रहे हैं और ये उनकी कोई पहल है? कोई पुरुष इसलिए अपनी फ़िल्म का प्रमोशन महिलाओं से करा ले जाये क्यूंकि उसने “रियल पैडमैन” का किरदार निभाया है और उसका फायदा लेना चाहता है!! जब रियल पैडमैन ने ऐसी कोई मंशा नहीं रखी तो अक्षय क्यों रखते हैं….जाहिर है कारोबारी आदमी है यही सोचेगा. लेकिन आप सब को क्या हुआ है….??
पीरियड्स पर बात करने के लिए पुरुष कब से मुद्दे खोजने लगे? क्यों नैपकिन सस्ते कराने के लिए किसी पुरुष के प्रमोशन का सहारा लिया जा रहा है. हम सब महिलाओं का अपना समूह है….लगभग सभी का है. सभी एक मुहीम से जुड़िये, सरकार की नाक में दम करिए. अपने मुद्दे, अपने निर्देश खुद बनाईये और खुद उस पर काम करिए. क्यों अक्षय कुमार जैसों को मौका दे रही है फ़िल्म को पैसा कमाने देने के लिए और अगर प्रमोट करना है तो अरुणाचलम मुरुगनथम को प्रमोट कीजिये.
अक्षय ने मर्दों की क्रीम का भी ऐड किया है. चप्पल, जूते, दूध, दही, इनसे भी जुड़ी समस्याएं हैं उनका भी हैशटैग बना लीजिये.