छत्तीसगढ़ की जेलों का बुरा हाल, 66% गिरफ्तारियां गैरजरुरी
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ की जेलों का बुरा हाल है. पखवाड़े भर पहले संसद की एक समिति की रिपोर्ट के अनुसार राज्य की जेलों में जहां सौ लोगों के रहने की जगह है, वहां 226 कैदी रह रहे हैं. कैदी सोने के लिये अपनी शिफ्ट की इंतजार करते हैं. शौचालय के लिये लाइन लगानी पड़ती है और नहाने के लिये भी यही हाल है. गरमी के दिनों में तो छत्तीसगढ़ की जेल नरक बन जाती है.
महिलाओं के सशक्तीकरण से संबंधित संसद की समिति ने जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों के होने पर क्षोभ जताया है. समिति का कहना है कि देश की जेलों में निर्धारित क्षमता से करीब 53 हजार अधिक कैदी हैं और इनमें से ज्यादातर ऐसे गरीब कैदी हैं, जो बहुत ही छोटे-मोटे अपराधों में सजायाफ्ता है. ऐसे कैदी जुर्माना न अदा कर पाने के कारण रिहा नहीं हो पा रहे हैं.
समिति ने गृह मंत्रालय के आंकड़ों के हवाले से बताया है कि कुछ जेलों में यह प्रतिशत 300 से भी ज्यादा हो सकता है. क्षमता से अधिल लोगों के जेल में होने के कारण कैदियों को साफ-सफाई,खान-पान और स्वास्थ्य सेवा जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं मिल पाती हैं. ऐसे बंदी और कैदी चर्म रोग, तपेदिक और एड्स जैसी बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं.
समिति के अनुसार विभिन्न जेलों में हिंसक अपराधियों के मुकाबले ऐसे कैदियों की संख्या ज्यादा है, जो बेटिकट यात्रा करने और ट्रेनों में चेन पुलिंग जैसे छोटे -मोटे अपराधों में पकड़े गये है और जुर्माने की राशि अदा न कर पाने के कारण रिहा नहीं हो पा रहे हैं. इसके अलावा विचाराधीन कैदियों की तादाद बढ़ने और गैर जरूरी गिरफ्तारियों के कारण भी जेलों में भीड़ की समस्या गंभीर होती जा रही है.
समिति के अनुसार कुल गिरफ्तारियों में से 66 प्रतिशत ऐसी थीं जो या तो गैरजरूरी थीं या जिनका कोई औचित्य नहीं था. छत्तीसगढ़ के बस्तर में तो जगलग के एक अध्ययन में और भी भयावह आंकड़े सामने आये थे. दक्षिण बस्तर में 2005 से 2013 तक के सभी अदालती मामलों के अध्ययन में जगलग ने पाया कि 95.6 प्रतिशत लोग पूर्ण रूप से निर्दोष साबित हुए हैं और उन्हें ट्रायल के बाद बाइज्ज़त बरी किया गया. यानी किसी व्यक्ति पर अगर पांच मामले हैं या किसी मामले में आठ लोगों को आरोपी बना कर सालों के लिये जेल में ठूंस दिया गया, ऐसे मामलों में सभी लोग, सभी धाराओं में बाइज्जत बरी हुये हैं.