41 साल बाद अपनी मां से मुलाकात
पुणे | संवाददाता: नीलाक्षी एलिजाबेथ जॉरंडल के लिये अपनी मां से मिल पाना आसान नहीं था.मां, जिसने उन्हें 41 साल पहले जन्म दिया था. गरीबी के कारण उन्हें एक अनाथालय में देना पड़ा था, जहां 3 साल की उम्र में नीलाक्षी को एक स्वीडिश दंपत्ति ने गोद लिया और फिर नीलाक्षी स्वीडन चली गईं.
नीलाक्षी पुणे के केडगांव में पंडित रामाबाई मुक्ति मिशन के आश्रय में पैदा हुई थीं. साल था 1973. खेती करने वाले उनके पिता ने उसी साल आत्महत्या कर ली थी. मां को कुछ नहीं सुझा तो उन्होंने नीलाक्षी को वहीं पंडित रामाबाई मुक्ति मिशन के आश्रय एवं दत्तक गृह के हवाले कर दिया और फिर वहां से चली आईं. तीन साल की उम्र थी नीलाक्षी की, जब उन्हें स्वीडिश दंपत्ति ने गोद लिया.
पढ़ाई-लिखाई और करियर के बीच नीलाक्षी को हर घड़ी यह दुख सालता था कि आखिर उसके असली मां-बाप कहां होंगे, किस हाल में होंगे. अपने बॉयलॉजिकल मां-बाप की तलाश उन्हें भारत तक खींच लाई. पिछले 27 सालों में वे 6 बार भारत आईं. लेकिन यह काम इतना आसान नहीं था.
नीलाक्षी के बार-बार भारत आने के दौरान कुछ लोगों से संपर्क बने और उसके बाद ही अपनी मां से उनकी मुलाकात हुई. इस काम में अगेंस्ट चाइल्ड ट्रैफिक की अंजलि पवार ने उनकी मदद की.
अपनी मां से मुलाकात का यह दृश्य हिला देना वाला था. दोनों के बीच भाषाई दीवार तो थी ही, अपने को व्यक्त करने के लिये दोनों के हिस्से केवल आंसू थे. 44 साल की नीलाक्षी उम्र के जिस पड़ाव पर हैं, वहां धुंधलाती स्मृतियों में दुभाषिये ही मां-बेटी के बीच पुल बने.
नीलाक्षी के अनुसार 1973 में उनके जन्म के बाद उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली थी. इस शादी के बाद एक बेटा और बेटी पैदा हुये. नीलाक्षी की मां और उनकी दूसरी बेटी को थैलसीमीया की बीमारी है. नीलाक्षी चाहती हैं कि उनका बेहतर इलाज हो और वे इसके लिये मदद भी करना चाहती हैं.