नोटबंदी से अभी भी मुश्किल में छत्तीसगढ़
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में नोटबंदी के बाद हालत अब भी खराब है. राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने खुद यह स्वीकार किया है कि आम नागरिकों और किसानों को इसके कारण मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.
मुख्यमंत्री रमन सिंह ने दिल्ली में नक्सलवाद के मुद्दे पर आयोजित बैठक में यह राज खोला कि छत्तीसगढ़ में नोटबंदी के बाद से स्थिति ठीक नहीं है.
उन्होंने छत्तीसगढ़ के कुछ बैंकों में नकदी, विशेष रूप से 500 और 2000 के नोटों की कमी का उल्लेख करते हुए कहा कि दैनिक 1500 करोड़ रूपए कैश बैलेंस के विरूद्ध 900 से 1000 करोड़ रूपए रह गया है. इससे एटीएम पर समस्या बढ़ रही है.
उन्होंने आम नागरिकों और किसानों की सुविधा के लिए इस समस्या को जल्द हर करने का आग्रह किया. रमन सिंह ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक को उनके क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से छत्तीसगढ़ के बैंकों को ज्यादा से ज्यादा मदद करने के लिए कहा जा सकता है.
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में अभी भी बैंकों में 500 के नोट अपर्याप्त हैं. एटीएम मशीनों में भी केवल 2000 के नोट ही मिल पा रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में तो नागरिक अभी भी बैंकों में जमा अपना ही पैसा नहीं निकाल पा रहे हैं. सौ और पांच सौ के नोट बड़ी मुश्किल से मिल रहे हैं.
बैठक में रमन सिंह ने यह भी कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का क्रियान्वयन सफलतापूर्वक किया जा रहा है. राज्य में लगभग 10 महीने पहले शुरू इस योजना के तहत अब तक 11 लाख से ज्यादा रसोई गैस कनेक्शन वितरित हो चुके हैं. इन्हें मिलाकर तीन साल में 35 लाख घरों तक उज्ज्वला योजना को पहुंचाने का लक्ष्य है. नक्सल प्रभावित आठ जिलों में छह लाख 61 हजार लक्ष्य के विरूद्ध एक लाख 80 हजार कनेक्शन दिए गए हैं.
रमन सिंह का कहना था कि नक्सल प्रभावित जिलों में लोगों को यह भय है कि यदि वे इस योजना में रसोई गैस कनेक्शन लेंगे तो उनकी केरोसीन की पात्रता खत्म हो जाएगी. डॉ. रमन सिंह ने बैठक में केन्द्र सरकार से यह भी अनुरोध किया कि ऐसे जिलों और अनुसूचित क्षेत्रों में सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकानों में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के हितग्राहियों के लिए भी केरोसीन की पात्रता जारी रखी जाए.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना में रसोई गैस कनेक्शन वितरण के लिए नक्सल समस्या वाले जिलों सहित अंदरूनी इलाकों में 50 वितरक स्वीकृत हुए हैं. दूसरे चरण में 92 वितरकों का प्रस्ताव है, लेकिन केवल 48 स्थानों के लिए स्वीकृति मिली है. उन्होंने शेष वितरण केन्द्रों को भी जल्द मंजूरी देने का आग्रह किया.