मप्र उप चुनाव: पर्यवेक्षक नियुक्त
नई दिल्ली | संवाददाता: मध्यप्रदेश उप चुनाव के पर्यवेक्षण लिये उच्च अधिकारियों की टीम नियुक्त की जा रही है. चुनाव आयोग ने मध्यप्रदेश के अटेर तथा बांधवगढ़ विधानसभा चुनावों के लिये आंध्रप्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी भंवर लाल के नेतृत्व में उच्च अधिकारियों की टीम नियुक्त करने का फैसला किया है. इस टीम में वरिष्ठ प्रधान सचिव आरके श्रीवास्तव और प्रधान सचिव वरिंदर कुमार को शामिल किया गया है. वरिष्ठ अधिकारियों की यह टीम चुनाव संचालित कराने के सभी प्रशासनिक और सुरक्षा संबंधी चुनाव आयोग के निर्देशों को क्रियान्वित करेगी.
गौरतलब है कि अटेर तथा बांधवगढ़ उप चुनाव के संबंध में कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिला था. प्रतिनिधिमंडल ने चुनाव आयोग से स्वतंत्र, निष्पक्ष चुनाव और अधिकारियों की पूर्ण तटस्थता सुनिश्चित करने की मांग की.
इसके बाद चुनाव आयोग ने इन दो विधान सभा क्षेत्रों में लगाये गई ईवीएम और वीवीपीएटी के सही तरीके से काम करने को सुनिश्चित करने के लिये तकनीकी विशेषज्ञों के साथ दो अधिकारियों की टीम को भी तैनात करने का फैसला किया है. मतदान में प्रयोग की जाने वाली ईवीएम और वीवीपीएटी की प्रमाणिकता का प्रदर्शन सभी हितधारकों के समक्ष उनके पूर्ण संतोष के लिये किया जाएगा. ये टीमें विधान सभा क्षेत्र में मतगणना खत्म होने तक मौजूद रहेंगी.
बता दें कि शुक्रवार को जब मुख्य निर्वाचन अधिकारी ईवीएम मशीन का डेमो कर रही थी तो कोई भी बटन दबाने से वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रायल से भाजपा की पर्ची निकल रही थी. जिसका कांग्रेस समेत सीपीएम तथा आम आदमी पार्टी ने विरोध किया था.
चीफ इलेक्टोरल ऑफिसर शुक्रवार को सलीना भिंड पहुंची थीं. उनके सामने ही वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रायल मशीन का डेमो हुआ. मशीन से जुड़ी ईवीएम पर चौथे नंबर का बटन दबाया तो वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रायल ने पर्ची निकली, जो सत्यदेव पचौरी के नाम की थी. इस पर कमल का फूल चुनाव चिह्न था. उन्होंने फिर से बटन दबाया तो भी कमल का फूल प्रिंट हुआ. हालांकि तीसरी बार उन्होंने नंबर एक पर बटन दबाया तो पंजा निकला. यह देखकर सलीना सिंह बोलीं, “अब बराबर हो गया है. अगर मीडिया में यह सब छपा तो थाने भिजवा दूंगी.”
दरअसल, वोटर वेरिफाइड पेपर ऑडिट ट्रायल मशीन एक ऐसी मशीन होती है जिससे निकली पर्ची यह दिखाती है कि मतदाता ने किस पार्टी को वोट दिया है. मतदाता केवल सात सेकेंड तक इस पर्ची को देख सकता है इसके बाद यह एक डिब्बे में गिर जाती है और मतदाता इसे अपने साथ नहीं ले जा सकता.
इस पूरे प्रकरण पर जब बीबीसी ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी सलीना सिंह से बात की थी तो उन्होंने कहा कि अटेर में हुआ डेमो सिर्फ़ पत्रकारों को नई व्यवस्था समझाने के लिये था.
उन्होंने सफ़ाई दी कि मशीनें ठीक से कैलिब्रेट नहीं की गई थीं, केवल प्रेस के लोगों की जिज्ञासा शांत करने के लिए दिखाया गया था.
गौरतलब है कि मीडिया में रिपोर्ट आने के बाद शनिवार को चुनाव आयोग ने इस बारे में रिपोर्ट तलब की थी. उसके बाद शनिवार देर रात भिंड के कलेक्टर तथा पुलिस अधीक्षक का तबादला कर दिया गया है.