छत्तीसगढ़ में शिशु मत्युदर 54
रायपुर | संवाददाता: NFHS-4 के अनुसार छत्तीसगढ़ में शिशु मृत्युदर 54 है. यह सर्वे साल 2015-16 के दौरान किया गया था. इसके अनुसार छत्तीसगढ़ में जन्म लेने वाले प्रति 1000 जिंदा बच्चों में से 54 की मौत 1 साल के अंदर हो जाती है. हालांकि सेम्पल रजिस्ट्रेशन सिस्टम के 2015-16 के आंकड़ों के अनुसार यह 41 है परन्तु नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे को ज्यादा प्रमाणिक माना जाता है. इसके अनुसार छत्तीसगढ़ के शहरी क्षेत्रों में शिशु मृत्युदर 44 तथा ग्रामीण क्षेत्रों में 56 है.
इसी तरह से नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 के अनुसार छत्तीसगढ़ में प्रति 1000 जीवित बच्चों में से 65 बच्चें 5 साल की उम्र पूरी करने के पहले मर जाते हैं. 5 साल के अंदर मर जाने वाले बच्चों की दर शहरी अंचलों में 51 तथा ग्रामीण अंचलों में 68 है. राष्ट्रीय स्तर पर नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार शिशु मृत्युदर 41 है तथा 5 साल की उम्र पूरी करने के पहले मर जाने वाले बच्चों की दर 50 है.
उल्लेखनीय है कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में अप्रैल 2016 से जनवरी 2017 के बीच 8,967 शिशुओं की मौत हो गई है. राज्य में शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिये स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च में बढ़ोतरी की जरूरत है.
छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च
साल 2014-15 के आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ सरकार अपने बजट से प्रति व्यक्ति/प्रतिवर्ष औसतन 802 रुपये खर्च करती है. इसकी तुलना यदि देश के अन्य राज्यों से करें तो इसी साल उत्तर-पूर्व के राज्यों में से अरुणाचल प्रदेश ने 3002 रुपये, मणिपुर ने 1658 रुपये, मेघालय ने 1639 रुपये, मिजोरम ने 2700 रुपये, नगालैंड ने 1707 रुपये, सिक्किम ने 4145 रुपये तथा त्रिपुरा ने 1821 रुपये खर्च किये.
इसी तरह से असम ने 855 रुपये, बिहार ने 385 रुपये, छत्तीसगढ़ ने 802 रुपये, झारखंड ने 461 रुपये, मध्यप्रदेश में 540 रुपये, ओडिशा ने 543 रुपये, राजस्थान ने 760 रुपये, उत्तरप्रदेश ने 492 रुपये, उत्तराखंड ने 1270 रुपये खर्च किये.
स्वास्थ्य पर सकल घरेलू उत्पादन का खर्च
अब यदि इसे इसी साल राज्यों द्वारा अपने सकल घरेलू उत्पादन की तुलना में खर्च के रूप में देखा जाये तो असम ने 1.69, बिहार ने 1.13, छत्तीसगढ़ ने 1.08, झारखंड ने 0.87, मध्यप्रदेश ने 0.93, ओडिशा ने 0.83, राजस्थान ने 1.03, उत्तरप्रदेश ने 1.20 तथा उत्तराखंड ने 1.06 फीसदी प्रति व्यक्ति स्वास्थ्य पर खर्च किये.
इसी तरह से आंध्रप्रदेश ने 1.92, दिल्ली ने 0.83, गोवा ने 1.05, गुजरात ने 0.68, हरियाणा ने 0.58, हिमाचल प्रदेश ने 1.58, जम्मू-कश्मीर ने 2.14, कर्नाटक ने 0.82, केरल ने 0.92, महाराष्ट्र ने 0.52, पंजाब ने 0.91, तमिलनाडु ने 0.75, तथा पश्चिम बंगाल ने 0.82 फीसदी खर्च किये हैं.
इनकी तुलना में उत्तर-पूर्व के राज्यों में से अरुणाचल प्रदेश ने 2.83, मणिपुर ने 2.92, मेघालय ने 2.02, मिजोरम ने 2.71, नगालैंड ने 2.23, सिक्किम ने 2.11 तथा त्रिपुरा ने 2.53 फीसदी अपने राज्य के सकल घरेलू उत्पादन के हिसाब से प्रति व्यक्ति खर्च किये हैं.