कलारचना

‘बेगम जान’ में बंटवारे का दर्द

मुंबई | मनोरंजन डेस्क: ‘बेगम जान’ का टीजर निर्माता के झोले से निकलकर बाहर आ गया है. टीजर में जैसा दिख रहा है विद्या बालन का जानदार किरदार बंटवारे के दर्द को फिर से हरा कर देगा. अंग्रेज चले गये लेकिन भारत को दो टुकड़ों में बांटकर चले गये. फिल्म के टीजर की शुरुआत यही संदेश देती है. फिल्म ‘बेगम जान’ में रंडी के कोठे के बंटवारे की कहानी है. जिसका रंडी ही विरोध करती है. इस विरोध पर ही फिल्म ‘बेगम जान’ की कहानी टिकी हुई है. टीजर में विद्या के कोठा के बीच से भारत और पाकिस्तान के बीच की लाइन गुजरती है, अधिकारी इस वैश्याघर को खाली कराने की कोशिश करते हैं लेकिन विद्या और उनके साथ रहने वाली वैश्याएं इसे खाली करने को तैयार नहीं होतीं.

इस ट्रेलर में जब नसीरुद्दीन शाह का किरदार ‘बेगम जान’ से कहता है कि वह बहुत बुरी मौत मरेगी तो बेगम जान जवाब देती है, “अब जो भी हो, भिखमंगों की तरह नहीं रानी की तरह मरूंगी, अपने महल में.” यह फिल्म साल 2015 की बंगाली फिल्म राजकहानी का हिंदी रीमेक है. फिल्म 14 अप्रैल को रिलीज होगी.

जब सरकारी अधिकारी ‘बेगम जान’ से कहता है एक महीने का वक्त है, सिर्फ एक महीना. महीना समझती है ना? उसके जवाब में बेगम जान कहती है, “महीना हमें गिनना आता है साहब, हर बार साला लाल करके जाता है.” इस डॉयलाग में बंटवारे के दर्द के अलावा महिला होने का दर्द भी समाया हुआ है.

बेगम जान- हिन्दी

राजकहानी- बंगाली

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