पत्रकार संतोष यादव रिहा
कांकेर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के पत्रकार संतोष यादव जेल से रिहा कर दिये गये हैं.
उच्चतम न्यायालय ने जेल में बंद पत्रकार संतोष यादव को जमानत दी है. उच्चतम न्यायालय के जस्टिस सिकरी की अध्यक्षता में डबल बेंच ने 27 फरवरी को यह जमानत दी थी . पत्रकार संतोष यादव की ओर से मामले की सुनवाई के लिये उच्चतम न्यायालय वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोनसालविज अदालत में पेश हुये थे.
पत्रकार संतोष यादव को 29 सितम्बर 2015 को गिरफ्तार किया गया था. संतोष यादव के खिलाफ 21 अगस्त 2015 को माओवादी सशस्त्र समूहों द्वारा सुरक्षा बलों पर हुए हमले में शामिल होने का आरोप है. कई अखबारों के लिये काम करने वाले संतोष को पुलिस ने माओवादियों के साथ कथित संपर्क के आरोप में टाडा और पोटा से भी ख़तरनाक माने जाने वाले ‘छत्तीसगढ़ जनसुरक्षा क़ानून’ के तहत गिरफ़्तार किया था.
पत्रकार संतोष यादव के खिलाफ मामला मुख्य रूप से एक पुलिस अधिकारी की गवाही पर टिकी हुई है, जिसने बयान दिया था कि उसने रात के अंधेरे में उन्होंने सौ से अधिक माओवादियों के बीच संतोष यादव की पहचान की थी. हालांकि उसके बाद पहचान परेड के दौरान पुलिस संतोष यादव की निश्चित तौर से पहचान नहीं कर पाई.
वहीं, एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया का कहना था कि घटना की एफआईआर में दोषी लोगों की सूची में संतोष यादव का नाम दर्ज नहीं है. राज्य पुलिस ने उनके पास से बरामद लाल और हरे रंग के कपड़े तथा अन्य कुछ सामग्रियों को ‘सबूत’ के तौर पर पेश करके़ उनके माओवादी होने का दावा किया है.
संतोष यादव ने एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया को अगस्त 2016 में बताया था कि उन्हें जेल में एक कैदी द्वारा जान के मारने की धमकी भी दी गई थी. उनके वकील ने यह भी आरोप लगाया है कि जून 2015 में उन्हें राज्य पुलिस द्वारा निर्वस्त्र करके अपमानित किया गया था.
गौरतलब है कि संतोष यादव की जमानत याचिका दो बार खारिज की जा चुकी थी. एक दूसरी याचिका उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन थी. 17 अक्टूबर 2016 को न्यायालय ने छत्तीसगढ़ राज्य सरकार से जमानत याचिका पर अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा था.