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शराब की खपत 12 करोड़ लीटर !

रायपुर | विशेष संवाददाता: छत्तीसगढ़ के लोग साल में 12 करोड़ लीटर शराब पी जाते हैं ! इस तरह से देखा जाये तो मोटे तौर पर छत्तीसगढ़ का हर बाशिंदा साल में औसतन 4 लीटर से ज्यादा शराब पी जाता है. छत्तीसगढ़ में शराब की लत इतनी है कि नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे 2015-16 के दौरान पाया गया कि यहां के 52.7 फीसदी पुरुष शराब पीते हैं. छत्तीसगढ़ में रहने वाली 5 फीसदी महिलायें भी शराबखोरी करती हैं.

शराब पीने वाले पुरुषों का राष्ट्रीय औसत छत्तीसगढ़ से काफी कम 29.3 फीसदी है. गौर करने वाली बात यह है कि राष्ट्रीय स्तर पर 10 साल पहले पुरुषों में 31.9 फीसदी लोग शराब पीते थे. इस तरह से राष्ट्रीय स्तर पर शराब पीने वालों की संख्या घटी है. जबकि छत्तीसगढ़ में पिछले 10 पहले की तुलना में 0.4 फीसदी का इज़ाफा हुआ है.

आंकड़ें सरकारी हैं इसलिये विश्वसनीय है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार साल 2015-16 में छत्तीसगढ़ में देशी एवं विदेशी शराब की कुल खपत थी 9 करोड़ 48 लाख 52 हजार 465 प्रूफलीटर. इसके अलावा छत्तीसगढ़ के लोगों ने विदेशी शराब (माल्ट) भी 2 करोड़ 51 लाख 93 हजार 103 ब. लीटर पी लिया था.

चालू वित्त वर्ष 2016-17 में जनवरी माह तक छत्तीसगढ में देशी एवं विदेशी शराब की खपत 8 करोड़ 31 लाख 55 हजार 032 प्रूफलीटर हो चुकी है. जहां तक विदेशी शराब (माल्ट) की बात है तो अब तक 2 करोड़ 14 लाख 28 हजार 835 ब. लीटर शराब पी जा चुकी है. कुल मिलाकर चालू वित्त वर्ष में अब तक शराब की कुल खपत 10 करोड़ 45 लाख 83 हजार 867 लीटर शराब पीया जा चुका है.

जबकि पिछले साल याने 2015-16 में सालभर में 12 करोड़ 00 45 हजार 568 लीटर शऱाब की खपत थी. यदि यही रफ्तार रही तो इस साल भी छत्तीसगढ़ के शराबी पिछले साल की तुलना में ज्यादा पी जायेंगे.

यदि तीन साल के आंकड़ों को देखे तो शराब से सरकार को साल 20145-15 में 23 अरब 93 करोड़ 53 लाख 21 हजार 404 रुपये का राजस्व मिला था. इसी तरह से साल 2015-16 में सरकार को 28 अरब 25 करोड़ 30 लाख 34 हजार 200 रुपयों का राजस्व मिला. वहीं, 2016-17 में 26 अरब 71 करोड़ 72 लाख 27 हजार 530 रुपयों का राजस्व मिला था.

यह भी दिलचस्प है कि राज्य में जनवरी 2008 में गरीबों को 3 रुपये में 35 किलो चावल दिये जाने की योजना शुरू होने के बाद से राज्य में शराब की बिक्री में आश्चर्यजनक रूप से तेज़ी आई है.

बीबीसी के अनुसार 2008-09 में आबकारी विभाग को 965.05 करोड़ रुपये की आय होती थी. जो 2010-11 में 1188.32 करोड़ रुपये हो गई. इसके बाद 2011-12 में इस आय में जबरदस्त उछाल आया और यह 1624.35 पहुंच गई. लेकिन अगले साल का आंकड़ा चौंकाने वाला था. राज्य सरकार के अनुसार 2012-13 में आबकारी आय 2485.73 करोड़ जा पहुंची.

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