कबीरधाम में 987 शिशुओं की मौत
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के कबीरधाम में दो साल में 987 बच्चों की मौतें हुई हैं. इन बच्चों की उम्र 1 साल से कम की थी. इनमें से 77 बच्चें विशेष संरक्षित जनजाति के हैं. एक तरफ छत्तीसगढ़ में शिशु मृत्युदर कम हो रही है तो दूसरे तरफ कबीरधाम जिला में नवजात शिशुओं की मौत मे इज़ाफा हो रहा है. उल्लेखनीय है कि साल 2015-16 में कबीरधाम जिले में 481 शिशुओं की मौत हुई थी लेकिन इस साल 2016-17 में जनवरी माह तक ही 506 शिशुओं की मौत हो चुकी है. इस तरह से कबीरधाम जिले के लगातार दो साल के आंकड़ों के अनुसार वहां पर शिशु मृत्युदर बढ़ी है. जबकि छत्तीसगढ़ में पिछले 10 सालों में शिशु मृत्युदर में कमी आई है.
दस साल पहले 2005-06 में छत्तीसगढ़ में शिशु मृत्युदर 71 थी जो 2015-16 तक घटकर 54 पर आ गई है. हालांकि छत्तीसगढ़ इस मामले में राष्ट्रीय औसत से पिछड़ा हुआ है. शिशु मृत्युदर राष्ट्रीय स्तर पर पिछले 10 साल में 57 से घटकर 41 पर आ गई है. छत्तीसगढ़ को शिशु मृत्यु दर में कमी लाने अभी और आगे बढ़ना है. लेकिन कबीरधाम जैसे जिलों में जहां शिशुओं की मृत्यु की संख्या में लगातार इज़ाफा हो रहा है, छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय औसत की बराबरी करने से रोक रहा है.
उल्लेखनीय है कि शिशु मृत्युदर एक स्वास्थ्य सूचकांक है. जो विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा तय किये गये कई सूचकांको में से एक है. जब भी किसी देश या क्षेत्र के विकास की समीक्षा की जाती है तो इन सूचकांको के आधार पर ही की जाती है.
जानकारों का मानना है कि मृत्युदर उस क्षेत्र के आबादी का अपने ऊपर निवेश करने की क्षमता पर निर्भर करता है. जिसका अर्थ होता है कि स्वास्थ्य पर, पोषण पर, पीने के स्वच्छ पानी पर, रहने के लिये साफ सुथरे वातावरण पर, ठंडी-गर्मी-बरसात से बचाने वाले रहने के स्थान पर खर्च करने की क्षमता पर निर्भर करता है.
इस कारण से खुद ही अपने स्वास्थ्य और पोषण पर खर्च करना पड़ता है. चूंकि रिजर्व बैंक के आकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ की 39.93 फीसदी आबादी गरीबी की रेखा के नीचे रहती है इसलिये जाहिर है कि अपने ऊपर खर्च करना तो 39.93 फीसदी आबादी के वश की बात ही नहीं है. उसके बाद भी जो गरीबी रेखा से उपर हैं वे इतने अमीर तो नहीं हैं कि भोजन के बाद स्वास्थ्य पर खर्च कर सके.
स्वास्थ्य विभआग के आंकड़ों के अनुसार कबीरधाम जिले में साल 2015-16 में कवर्धा विकासखंड में 130, बोड़ला में 140, स. लोहारा में 77 एवं पंडरिया विकासखंड में 134 शिशुओं की मौत हुई थी. जबकि साल 2016-17 में जनवरी माह तक कवर्धा विकासखंड में 102, बोड़ला में 157 स. लोहारा में 87 तथा पंडरिया में 160 शिशुओं की मौत हो चुकी है.
इन आंकड़ों के अनुसार कवर्धा विकासखंड में शिशु मृत्यु की दर में कमी आई है परन्तु बोड़ला, स. लोहारा तथा पंडरिया में शिशु मृत्यु दर में बढ़ोतरी हुई है. खासकर पंडरिया में शिशुओं की मृत्यु दर एकदम से बढ़ गई है.
इन विकासखंडों में कुल 24 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तथा 6 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र हैं. जिनमें से केवल 1 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रसव की सुविधा नहीं है.
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार इन बच्चों की मौत का कारण संक्रमण, दम घुटने से, वजन अत्येत कम होने से, समय से पहले जन्म तथा जन्मजात विकारों के कारण हुई है.