भीमा, सुखमती का दोबारा PM होगा
बिलासपुर | संमाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भीमा एवं सुखमती के दोबारा पीएम के आदेश दिये हैं. पुरंगेल फर्जी मुठभेड़ में मारे गये भीमा कडती और सुखमती हेमला के दोबारा पोस्टमार्टम का आदेश छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने गुरुवार को दिया है. 1 मार्च को इस मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी ने करते हुये 2 मार्च को दोबारा पोस्टमार्टम का आदेश जारी किया है. आम आदमी पार्टी की लीगल सेल के वकील अमरनाथ पांडे, रजनी सोरेन और किशोर नारायण ने भीमा और सुखमती की माताओं उंगी कड़ती और भीम हेमला की ओर से हाईकोर्ट में 19 फ़रवरी को अर्जी दायर की गयी थी.
गौरतलब है कि आम आदमी पार्टी की नेत्री सोनी सोरी ने फर्जी मुठभेड़ की शिकायत मिलने पर ग्राम गमपुड़ का दौरा किया था और मृतकों के परिजनों से भी मिली थी. गांव में ग्रामीणों ने बताया कि वे दोनों का दाह संस्कार तभी करेंगे जब इस मामले की न्यायिक जांच के साथ इनका दोबारा पोस्टमार्टम होगा. उसके बाद आम आदमी पार्टी की लीगल सेल ने पूरे प्रकरण याचिका तैयार कर 19 फरवरी को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में याचिका दायर किया गया था.
पूरा घटनाक्रम इस प्रकार है-
* 28 जनवरी को भीमा कडती अपने नवजात बच्चे की छट्ठी कार्यक्रम की पूजा की तैयारी हेतु अपनी साली सुखमती हेमला के साथ अपने ग्राम गमपुड़ से किरंदुल की ओर निकले थे. किरंदुल बाजार में पूजा सामग्री खरीदने हेतु साथ लायी सल्फी को उन्होंने बाजार में बेचा लेकिन वे दोनों घर वापस नही लौट पाये.
* 29 जनवरी को भीमा के बड़े भाई बामन को पुलिस ने सूचना दी कि भीमा और सुखमती माओवादी थे और पुरंगेल के जंगल में मुठभेड़ में मारे गये हैं. उनकी लाश दन्तेवाड़ा के अस्पताल से उन्हें दी गई. भीमा के परिजनों ने पाया कि सुखमती के देह पर तरह-तरह के निशान थे. जिससे उसके साथ बलात्कार किये जाने की पुष्टि हुई. उनके शवों के साथ छेड़छाड़ भी किया गया प्रतीत हुआ. बामन कड़ती ने अपने निर्दोष भाई और उसकी साली को सुरक्षा बलों द्वारा फर्जी मुठभेड़ में मार दिये जाने की शिकायत उच्च स्तर के पुलिस अधिकारियों से करने का फैसला लिया.
* 31 जनवरी की पुलिस ने बामन को घर से उठाकर थाना बन्द में बन्द कर दिया. बामन के साथ पुलिस ने कथित तौर पर जमकर मारपीट की, उसके घुटनों को चाकू जैसे धारदार हथियार से काट डाला. पुलिस ने उसे भी माओवादी घोषित कर दिया.
* इस बीच पुरंगेल फर्जी मुठभेड़ और जबरन गिरफ्तारी की बात मीडिया में फैल गई. गांववालों ने आम आदमी पार्टी की नेत्री सोनी सोरी से पूरे मामले की शिकायत की और निवेदन किया कि उनकी टीम गाँव का दौरा करे.
* सोनी सोरी ने मामले की प्रारम्भिक जानकारी इकट्ठा कर पाया कि भीमा और सुखमती निर्दोष थे. भीमा बचपन से खेती कर अपने परिवार का गुजर बसर करता था और उसका भाई बामन किरंदुल में ठेका श्रमिक का काम करता था. सुखमती मात्र 15 साल की थी और उसका परिवार भी ग्राम गमपुड़ में रहता है. उसकी बड़ी बहन की शादी भीमा से लगभग 8 साल पहले हुई थी. जिसकी बड़ी लड़की होने के बाद बेटा एक माह पूर्व हुआ था. भीमा की पत्नी की एक आँख से नही दिखता है.
* भीमा और उसके परिवार की जांच करने के बाद सोनी सोरी आप के साथियों और दो पत्रकारों के साथ रविवार 12 फ़रवरी को लगभग 15 किमी की पैदल पहाड़ी रास्ता तयकर गमपुड़ पहुंची. जहां भीमा की बेवा पत्नी ने रो रोकर पूरी घटना का विवरण दिया. सारे गांववाले भीमा के घर एकत्रित हो गये थे. सभी में सरकार के प्रति जबरदस्त नाराजगी थी. वे लोग बलात्कार और दोनों हत्याओं के दोषी सुरक्षबलों को गिरफ्तार करने की मांग कर रहे थे. उपस्थित सैकड़ों ग्रामीणों ने दोनों के सहेजकर रखे गये शवों को दिखाया. ग्रामीणों का कहना था जब तक इन दोनों की हत्या के अपराध में सुरक्षा बलों पर एफआईआर दर्ज नहीं हो जाता तब तक वे मृतकों का आदिवासी रीति रिवाज अंतिम संस्कार नहीँ करेंगे.
* ग्रामीणों ने सोनी सोरी को बताया कि पुलिस ने जब शवों को उसके परिजनों के सुपुर्द किया था तभी लगा कि मृतकों के शव से आँखे निकाली गई थी. दोनों के शवों की चीरफाड़ की गई थी तथा शव क्षत विक्षत हो गये थे.
ग्रामीण सोनी सोरी के नेतृत्व में इन हत्याओं की एफआईआर कराने की मांग करने लगे.
* 15 फ़रवरी को लगभग 600 ग्रामीण पैदल चलकर किरंदुल पहुंचे. जहां सोनी सोरी के नेतृत्व में थानेदार से मांग की कि पूरे मामले की रिपोर्ट दर्ज हो तथा दोबारा पोस्टमार्टम हो. और यदि वे दोनों माओवादी थे तो उनके खिलाफ दर्ज रिपोर्ट की कॉपी उपलब्ध करायें. थानेदार ने तीनों मांगों को अस्वीकार कर दिया.
* 15 फ़रवरी की रात किरंदुल में गुजारने के पश्चात् 16 फ़रवरी को ग्रामीण और भीमा के परिजन सोनी सोरी के साथ दंतेवाड़ा कलेक्टर से अपनी मांगों को लेकर मिले. भीमा और सुखमती की माताओं की ओर से ज्ञापन सौंपा गया. तब कलेक्टर ने कहा की इस मामले की जाँच कोर्ट के आदेश पर ही सम्भव है क्योंकि पुलिस एफआईआर दर्ज़ कर अपने स्तर पर जाँच कर चुकी है.
* 16 फ़रवरी की रात को भीमा और सुखमती के व्यथित परिजनों को सोनी सोरी ने अपने सहयोगी रिंकी के साथ बिलासपुर हाईकोर्ट रवाना किया. बाकी ग्रामीण अपने गाँव की ओर लौट गये.
* 17 फ़रवरी को रायपुर से आप नेता डॉ. संकेत ठाकुर भीमा-सुखमती की माताओं, एक भाई और बहन को लेकर बिलासपुर हाईकोर्ट पहुंचे. बिलासपुर जाने के रास्ते पर सोनी सोरी ने उन्हें सूचना दी कि भारी संख्या में पुलिस फ़ोर्स गमपुड़ के लिये बीजापुर से निकल गई है. तथा वहां जाकर शवों का अग्नि संस्कार करवा सकती है. यह खबर फैली हुई थी कि ग्रामीणों ने शवो को अपने पास ही रखा है. तत्काल एक आवेदन बिलासपुर से भीमा और सुखमती की ओर फैक्स किया गया कि दिनों शवों से छेड़छाड़ उनकी अनुपस्थिति और अनुमति के बिना नहीं किया जाये.
* 18 फ़रवरी की रात्रि को बिलासपुर में हाईकोर्ट के लिये याचिका तैयार कर भीमा के परिजन अपने गाँव वापसी के लिये रवाना हो गये.