जहां ऑनलाइन आम चुनाव होते हैं
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: एस्टोनिया में आम चुनाव में ऑनलाइन वोटिंग होती है.
बाल्टिक सागर तट पर बसा एस्टोनिया कभी सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था. जब 1991 में सोवियत संघ से टूटकर यह देश लाटविया तथा लिथुआनिया के साथ अलग हुआ था तब कोई सोच भी नहीं सकते था कि जल्द ही इसका समाज दुनिया का सबसे डिजिटल समाज बन जायेगा.
आज एस्टोनिया में पूरी पढ़ाई ऑनलाइन होती है. यहां गाड़ी को पार्क करने की फीस भी ऑनलाइन पे की जाती है. यहां नया व्यवसाय शुरु करने में सिर्फ 18 मिनट लगते हैं तथा 5 मिनट में इनकम टैक्स रिटर्न भरे जा सकते हैं. वह भी केवल कुर्सी में बैठे-बैठे ही.
यहां के हर नागरिक का स्वास्थ्य रिकॉर्ड हमेशा ऑन लाइन रहता है. बीमार पड़ने पर कुछ की सेकेंड में व्यक्ति का पूरा हेल्थ रिकॉर्ड सामने आ जाता है. पूरे देश में वाई-फ़ाई है, यहां पर दुनिया का सबसे तेज़ बैंडविद्थ है.
एस्टोनिया का सब कुछ ऑनलाइन तो है, पर वह इस तरह सुरक्षित है कि अगर किसी ने आपकी कोई सूचना देखने की कोशिश की है तो वह आपको तुरंत मालूम भी हो जायेगा. आपकी सूचना आपकी अनुमति के बग़ैर कोई नहीं देख सकता, सरकारी एजेंसियों को भी आपसे अनुमति लेनी होगी.
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ये तमाम सुविधायें सिर्फ एस्टोनिया वासियों के लिये ही नहीं है, विदेशी भी इसका फ़ायदा उठा सकते हैं.
ई-रेजीडेन्सी के तहत विदेशी इलेक्ट्रॉनिक रेज़ीडेंट बन सकते हैं. इन ई-रेज़ीडेंट्स को डिजिटल पहचान पत्र मिलती है. इसके बल पर लोग बैंक एकाउंट खोल सकते हैं, कंपनियां पंजीकृत कर सकते हैं, और अपने काग़ज़ात पर डिजिटल दस्तख़त कर सकते हैं.
एस्टोनिया के मौजूदा प्रधानमंत्री तावी रोइवाज़ सिर्फ़ 37 साल के हैं. वे उस पीढ़ी के राजनेता हैं, जो इंटरनेट के बिना दुनिया की बात सोच भी नहीं सकता.
बुजुर्गों के साथ दिक्क़त है, 65 साल से ऊपर के महज आधे लोग ही इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा कम आदमनी वाले लोग इंटरनेट का प्रयोग नहीं कर पाते हैं.
लेकिन, कुल मिला कर एस्टोनिया एक ऐसा देश ज़रूर बन गया है, जो दुनिया में शायद सबसे ज़्यादा डिजिटल है. सोवियत संघ से अलग होकर 2004 में एस्टोनिया यूरोपीय संघ का सदस्य बना था. आज एस्टोनिया को यूरोप की सिलिकन वैली का कहा जाता है.