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बिलासपुर: पाकिस्तानी खरीद रहे हैं जमीन

बिलासपुर | समाचार डेस्क: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में पाकिस्तानी नागरिक जमीन खरीद रहे हैं. इस संबंध में मुंबई स्थित शत्रु संपत्ति अभिरक्षक कार्यालय से बिलासपुर प्रशासन को नोटशीट जारी की गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जूना बिलासपुर क्षेत्र में कई स्थानों पर पाकिस्तान के नागरिकों ने एक महिला के नाम पर जमीन की रजिस्ट्री करवाई है. जांच कर इसकी रिपोर्ट गृह मंत्रालय ने मंगवाई गई है. 18 नवंबर 2016 को जारी चिट्ठी में कहा गया है कि रहेना बानो पिता अब्दुल करीम के नाम पर राजस्व अभिलेखों में जूना बिलासपुर स्थित खसरा नंबर 511/8, 511/27, 589/14 और 589/16 की जमीन दर्ज हुई है जो पाकिस्तान की निवासी है.

केन्द्र की खुफिया एजेंसी ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर सहित कई स्थानों में पाक नागरिकों द्वारा जमीने खरीदे जाने की जानकारी दी है. गौरतलब है कि पाकिस्तान तथा बांग्लादेश के नागरिकों द्वारा यहां पर जमीन खरीदने पर रोक लगी हुई है. उसके बावजूद एक पाक नागरिक द्वारा कई जमीने खरीद लेने की खबर से हड़कंप मच गया है. बिलासपुर के जिला कलेक्टर ने मामले के जांच के आदेश दे दिये हैं. गृह मंत्रालय ने 15 दिनों के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने के लिये का था.

बिलासपुर के एसडीएम, नूतन कंवर के अनुसार गृह मंत्रालय की ओर से पाकिस्तानी नागरिक द्वारा जमीन की खरीद-फरोख्त की ज्यादा जानकारी यहां नहीं है. 2016 में संबंधित के नाम पर रजिस्ट्री हुई है. नामांतरण भी कराया है. इससे ज्यादा जानकारी नहीं है.

क्या है शत्रु संपत्ति अधिनियम?

शत्रु संपत्ति अधिनियम भारत सरकार द्वारा 1968 में लाया गया था. यह कानून सरकार को शक्ति प्रदान करता है कि वह भारत विभाजन के समय या 1962, 1965 और 1971 युद्ध के बाद चीन या पाकिस्तान पलायन करके वहां की नागरिकता लेने वाले लोगों की संपत्ति जब्त कर ले और ऐसी संपत्ति के लिए अभिरक्षक या संरक्षक नियुक्त करे. ऐसी संपत्ति ‘शत्रु संपत्ति’ कहलाती है और ऐसे नागरिक ‘शत्रु नागरिक’.

वर्ष 1965 के युद्ध के बाद भारत और पाकिस्तान ने 10 जनवरी, 1966 को ताशकंद घोषणा पर हस्ताक्षर किये. ताशकंद घोषणा में शामिल एक खंड के अनुसार, दोनों देश युद्ध के संदर्भ में एक-दूसरे के द्वारा कब्जा की गई सपंत्तियों और परिसंपत्तियों को लौटाने पर विचार-विमर्श करेंगे. पाकिस्तान सरकार द्वारा वर्ष 1971 में स्वयं ही अपने देश में ही इस तरह की सभी संपत्तियों का निपटारा कर दिया गया. साथ ही भारत सरकार द्वारा इस संबंध में शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 लागू किया गया.

7 जनवरी, 2016 में भारत के राष्ट्रपति द्वारा शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 में संशोधन करने हेतु ‘शत्रु संपत्ति (संशोधन और विधिमान्यकरण) अध्यादेश, 2016’ जारी किया गया.

* अध्यादेश के अनुसार, यदि एक शत्रु संपत्ति अभिरक्षक के अधीन है तो यह शत्रु, शत्रु विषयक अथवा शत्रु फर्म का विचार किये बिना शत्रु संपत्ति के रूप में अभिरक्षक के अधीन ही रहेगी.

* उत्तराधिकार कानून शत्रु संपत्ति पर लागू नहीं होता.

* अभिरक्षक के अधीन किसी भी संपत्ति का हस्तांतरण शत्रु अथवा शत्रु विषयक अथवा शत्रु फर्म द्वारा नहीं किया जा सकता.

* अभिरक्षक शत्रु संपत्ति की तब तक सुरक्षा करेगा जब तक अधिनियम के प्रावधानों के अनुरूप इसका निपटारा नहीं किया जाता.

* उपर्युक्त संशोधनों के माध्यम से शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 में निहित कमियों को दूर किया जा सकेगा.

* साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि अभिरक्षक के अधीन शत्रु संपत्तियां उनके पास ही बनी रहेंगी और इन्हें शत्रु अथवा शत्रु फर्म को वापस नहीं किया जायेगा.

* शत्रु संपत्ति अधिनियम, भारत सरकार द्वारा वर्ष 1968 में अधिनियमित किया गया था.

* इस अधिनियम के अंतर्गत अभिरक्षक के अधीन शत्रु संपत्ति को बनाये रखने की सुविधा प्रदान की गई थी.

* केंद्र सरकार भारत में शत्रु संपत्ति के अभिरक्षक के माध्यम से देश के विभिन्न राज्यों में फैली शत्रु संपत्ति को अपने अधिकार में रखती है.

* इसके अलावा, शत्रु संपत्ति के रूप में वर्गीकृत चल संपत्तियां भी हैं.

* यह सुनिश्चित करने हेतु कि शत्रु संपत्ति अभिरक्षक के अधीन ही रहे, तत्कालीन सरकार द्वारा वर्ष 2010 में शत्रु संपत्ति अधिनियम,
1968 में एक अध्यादेश के माध्यम से उपयुक्त संशोधन किए गये थे.

* यह अध्यादेश 6 सितंबर, 2010 को समाप्त हो गया था और इसके पूर्व ही 22 जुलाई, 2010 को एक विधेयक लोक सभा में इस संबंध में पेश किया गया था.

* हालांकि इस विधेयक को वापस ले लिया गया और 15 नवंबर, 2010 को लोक सभा में संशोधित प्रावधानों के साथ एक और विधेयक पेश किया गया.

* इसके बाद इस विधेयक स्थायी समिति के पास भेज दिया गया.

*यह विधेयक 15वीं लोक सभा के कार्यकाल के दौरान पारित नहीं किया जा सका था जिससे यह समाप्त हो गया.

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