ध्वनि प्रदूषण: डीजे, प्रेशर हार्न जब्त
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में ध्वनि प्रदूषण पर लगाम लगाने प्रशासन ने सख्ती शुरु कर दी है. राज्य भर में अब तक 116 डीजे तथा 1700 प्रेशर हार्न जब्त किये जा चुके हैं. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के आदेश और मुख्यमंत्री रमन सिंह के कड़े निर्देश के बाद ध्वनि प्रदूषण फैलाने वाले कानफोड़ू डीजे तथा वाहनों में लगे प्रेशन हार्नो के खिलाफ कार्यवाही की जा रही है. इसकी कमान मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव अमन सिंह ने संभाली है.
पिछले दिनों कलेक्टर्स क्रांफेंस में मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस बारे कड़ी कार्यवाही करने के निर्देश दिये थे. उसके बाद बिलासपुर में 36, मुंगेली में 5, जांजगीर-चांपा में 4, दुर्ग में 20, राजनांदगांव में 20, रायपुर में 16, अंबिकापुर में 3, कोरिया में 2 तथा कोरबा में 10 डीजे संचालकों पर कार्यवाही करते हुये जब्ती की कार्यवाही की गई है.
इसी तरह से अंबिकापुर में 440, बिलासपुर में 297, दुर्ग में 224, रायपुर में 178, सूरजपुर में 165, राजनांदगांव में 150, बलरामपुर में 126 तथा जांजगीर-चांपा में 120 प्रेशर हार्न जब्त किये गये हैं.
ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिये सरकार के द्वारा की जा रही कार्यवाही की सर्वत्र प्रशंसा की जा रही है. गौरतलब है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार निद्रावस्था में आस-पास के वातावरण में 35 डेसीबेल से ज्यादा शोर नहीं होना चाहिये और दिन का शोर भी 45 डेसीबेल से अधिक नहीं होना चाहिये.
विभिन्न प्रयोगों के आधार पर यह ज्ञात हुआ है कि ध्वनि की तीव्रता जब 90 डेलीबेल से अधिक हो जाती है तो लोगों की सुनने की क्षमता कम होने लगती है. लखनऊ में बढ़ते ध्वनि प्रदूषण के दुष्प्रभावों का अध्ययन करने के लिये ऐसे लोगों पर शोध किया गया जो लगातार पांच साल से 10 घंटे से अधिक समय शोर-शराबे के बीच गुजारते हैं. देखने में आया कि 55 फीसदी लोगों की सुनने की ताकत कम हो गई है.
इसके अलावा दीर्घ अवधि तक ध्वनि प्रदूषण के कारण लोगों में न्यूरोटिक मेंटल डिसार्डर हो जाता है. माँसपेशियों में तनाव तथा खिंचाव हो जाता है. स्नायुओं में उत्तेजना हो जाती है.
उच्च शोर के कारण मनुष्य विभिन्न विकृतियों एवं बीमारियों सग्रसित हो जाता है जैसे – उच्च रक्तचाप, उत्तेजना, हृदय रोग, आँख की पुतलियों में खिंचाव तथा तनाव मांसपेशियों में खिंचाव, पाचन तंत्र में अव्यवस्था, मानसिक तनाव, अल्सर जैसे पेट एवं अंतड़ियों के रोग आदि.
भारतीय मानक संस्थान द्वारा स्वीकृत ध्वनि स्तर-
आवासीय क्षेत्रों में स्वीकृत बाह्य ध्वनि स्तर:
ग्रामीण क्षेत्र में 25-35 डेसीबेल
उपनगरीय क्षेत्र में 30-40 डेसीबेल
नगरीय क्षेत्र में (आवासीय) 35-40 डेसीबेल
नगरीय क्षेत्र में (आवासीय व व्यावसायिक) 40-45 डेसीबेल
नगरीय क्षेत्र (सामान्य) 45-55 डेसीबेल
औद्योगिक क्षेत्र 50-60 डेसीबेल
विभिन्न भवनों में स्वीकृत आंतरिक ध्वनि स्तर:
रेडियो तथा टेलीविजन स्टूडियो 25-35 डेसीबेल
संगीत कक्ष 30-35 डेसीबेल
ऑडिटोरियम, हॉस्टल, सम्मेलन कक्ष 35-40 डेसीबेल
कोर्ट, निजी कार्यालय तथा पुस्तकालय 40-45 डेसीबेल
सार्वजनिक कार्यालय, बैंक तथा स्टोर 45-50 डेसीबेल
रेस्टोरन्ट्स 50-55 डेसीबेल.