बस्तर में शव वाहन नहीं मिलता
कांकेर | विशेष संवाददाता: छत्तीसगढ़ के बस्तर में खटिया ही एंबुलेंस है तथा यही शव वाहन का भी काम करता है. बस्तर के ग्रामीणों को एंबुलेंस तथा शव वाहन में फर्क ही नहीं मालूम है. यह है बस्तर में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल. गांव वाले जिस खटिया में बीमार को लेकर सरकारी अस्पताल में चिकित्सा के लिये आते हैं मृत्यु हो जाने पर उसी में अपने प्रियजन के शव को ढोकर ले जाना पड़ता है. अभी शुक्रवार को ही ऐसा एक मामला सामने आया है. जब शव को खटिया में डालकर उसे रस्सी से लटकाकर 7 किलोमीटर दूर घर तक ले जाना पड़ा है.
मिली जानकारी के अनुसार मामला कोयलीबेड़ा सामुदायिक स्वस्थ्य केंद्र का है जहां मर्दा निवासी जानसिंग पिता सुकालूराम को गुरुवार को ही तबियत खराब होने पर ईलाज के लिये लाया गया था. जानसिंग टीबी का पुराना मरीज था परिवार वालों का कहना था खाट पर ही लाया गया था और शुक्रवार जानसिंग में जान नही रही तो भी खाट में ही गांव 7 किमी दूर ले जाना पड़ रहा है.
शव वाहन क्या होता है गांव वाले नही जानते उन्हें तो बस घर तक पहुंचना है और क्रियाकर्म करना है. अस्पताल प्रबंधन की ओर से उन्हें कोई शव वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया इस कारण से मजबूरी वश उन्हें खाट में शव को ले जाना पड़ा.
घटना की जानकारी मिलने पर कलेक्टर शम्मी आबिदी ने कोयलीबेडा के मेडिकल आफिसर डॉ एके संभाकर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है.
अभी पखवाड़े भर पहले ही जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में इसी तरह का मामला सामने आया था जब एक नवजात के शव को 12 घंटे तक झोले में रखकर उसका पिता भटकता रहा. इसी माह के शुरु में जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में एक पिता तुलाराम अपने बेटे के शव को गोद में लेकर 4 घंटे तक घूमता रहा. बाद में मामलें की जानकारी मिलने पर कमिश्नर ने शव वाहन का प्रबंध करवाया था.