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फ्लाई ऐश से सड़क बनाये- NGT

बिलासपुर | संवाददाता: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने फ्लाई ऐश का उपयोग सड़क बनाने में करने का निर्देश दिया है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने बिलासपुर-रायपुर फोरलेन सड़क बनाने के लिये पास के गांवों से मिट्टी खोदकर डालने पर कहा है कि इससे छत्तीसगढ़ की पहचान पर असर पड़ेगा क्योंकि जमीन की उर्वरा शक्ति कम होने का असर उत्पादन क्षमता पर पड़ेगा. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ की पहचान धान के कटोरे के रूप में है. यदि मिट्टी की पहली परत कम होती है तो इससे उर्वरा क्षमता पर असर पड़ता है. क्योंकि उर्वरा क्षमता इसी परत की ज्यादा होती है, इसे बचाने का प्रयास होना चाहिये.

अधिवक्ता सुदीप श्रीवास्तव ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की भोपाल बेंच में मामला प्रस्तुत किया है. इसमें केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना का पालन नहीं होने की जानकारी दी गई है. ट्रिब्यूनल ने पर्यावरण एवं मंत्रालय, एनएचआईए, फोरलेन का काम कर रही तीनों ठेका कंपनियों के प्रतिनिधियों और छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल को नियमित रूप से बैठक कर फ्लाई ऐश का प्रदेश में चल रहे निर्माण कार्यों में उपयोग सुनिश्चित करने के आदेश दिये हैं.

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने कहा है कि फ्लाई ऐश का उपयोग फिलिंग के काम में किया जाना था. प्लांट इसे मुफ्त में उपलब्ध कराते, राज्य शासन को इसका परिवहन कर संबंधित जगहों में उपयोग करना था. वर्तमान में बिलासपुर से रायपुर तक फोरलेन बनाने के लिए सड़कों की खुदाई कर चौड़ीकरण किया जा रहा है. सड़कों की खुदाई के बाद फिलिंग के लिए मिट्टी या मुरूम का उपयोग किया जा रहा है, जबकि पूरी तरह फ्लाई ऐश ही डाली जानी है.

गौरतलब है कि में एनटीपीसी समेत अन्य पॉवर प्लांट से बड़े पैमाने पर फ्लाई ऐश निकलती है. जिसे राखड़ बांध बनाकर डंप किया जाता है, इसके लिए खेती या आबादी जमीन का उपयोग भी होता है. प्लांट से निकली राख स्वास्थ्य के लिये नुकसानदायक होने के साथ ही जमीन की उर्वराशक्ति भी नष्ट करती है.

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