छत्तीसगढ़

IG देवांगन को अनिवार्य सेवानिवृत्ति

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के IPS अफसर को अनिवार्य सेवानिवृति का आदेश दिया गया है. भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ के 1992 बैच के आईपीएस राजकुमार देवांगन, महानिरीक्षक, नगर सेना एवं नागरिक सुरक्षा को सेवा के लिये अनुपयुक्त मानते हुये उनका अनिवार्य सेवानिवृति का आदेश जारी किया है. इसके बाद बुधवार को छत्तीसगढ़ शासन ने राजकुमार देवांगन को भारतीय पुलिस सेवा के नियमों के तहत जनहित में सेवानिवृत कर दिया है. उन्हें तीन महीने का वेतन एवं भत्ता दिया जावेगा.

गौरतलब है कि राजकुमार देवांगन 18 साल पुराने एक डकैती के मामले में रकम की हेराफेरी के कारण विवादों में आ गये थे. उस समय उन्हें निलंबित भी किया गया था. आईजी देवांगन 1998 में अविभाजित मध्यप्रदेश के जांजगीर जिले के पुलिस अधीक्षक थे. उस समय बाराद्वार में हुये 65 लाख की डकैती की रकम में उन पर हेराफेरी करने के आरोप लगे थे. डकैती की रकम बाराद्वार के तत्कालीन थानेदार नरेन्द्र मिश्रा के घर से बरामद हुये थे.

1998 में बाराद्वार में शिक्षकों का वेतन ले जा रहे प्रधान अध्यापक से कुछ लोगों ने रुपये लूट लिये थे. डकैती की रकम थानेदार के घर से बरामद हुई थी. जिसके कारण थानेदार नरेन्द्र शर्मा कई माह जेल में भी रहे. उन्होंने पूछताछ में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राजकुमार देवांगन का नाम लिया था. इसके बाद तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार ने राजकुमार देवांगन को निलंबित किया था.

पुलिस महकमे ने इस मामले में 14 साल बाद 2012 में चार्जशीट इश्यू की थी. देवांगन का जवाब संतोषप्रद नहीं होने पर सरकार ने विभागीय जांच की अनुशंसा की थी. उसके बाद से ही देवांगन को पुलिस मुख्यालय से हटाकर आईजी होमगार्ड नियुक्त किया गया था.

राजकुमार देवांगन पर बोस्निया में यूएन मिशन के दौरान देश की छवि खराब करने का भी आरोप है. शांति सेना में पोस्टिंग के दौरान उन पर आर्थिक अनियमितता का आरोप लगा था. बोस्निया में पोस्टिंग के दौरान उन्होंने लाखों रुपयों के आईएसडी काल किये थे. आरोप है कि उन्होंने पैसे लेकर अपने फोन से फोन कराया था. वापसी में वे अपने साथ संस्थान का कुछ सामान भी लेते आये थे.

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