आज साइबर स्पेस में भारत बंद है
जेके कर
कथित भारत बंद का साइबर स्पेस में जोरदार तरीके से विरोध हो रहा है. देश में ऐसा पहली बार हो रहा है कि किसी ने भी भारत बंद का आव्हान् नहीं किया है और उसके विरोध में चुनौतियां दी जा रही हैं. चुनौतियां दी जा रही है बंद कराना है तो मेरी दुकान को बंद करा कर दिखाओ, वगैरह वगैरह.
दरअसल, भारत तो 9 नवंबर से ही करीब-करीब बंद पड़ा है. नकदी की कमी तथा केवल बड़े नोट की उपलब्धता की वजह से बाजार खुले रहने पर भी कारोबार ठंडा पड़ा है. खरीददारी नहीं के बराबर हो रही है. जिनके पास क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड व ई-वॉलेट जैसी सुविधा है वे मॉल तथा बड़े दुकानों से खरीददारी कर रहें हैं. आम जनता तो बैंक में पैसे जमा रहते हुये भी कंगाल बना फिर रहा है.
तमाम दावों व घोषणाओं के बाद भी मरीज दवा खरीदने के लिये भटक रहें हैं, शादी के लिये खरीददारी नहीं की जा सक रही है, बच्चों के ट्यूशन के लिये 800 और 1200 रुपये देने में अभिवाहकों को पसीना आ रहा है.
जिस काले धन के लिये नोटबंदी की गई है खबरों के अनुसार वे डेढ़ से दोगुना कीमत पर सोना खरीद रहें हैं. क्रेडिट कार्ड व डेबिट कार्ड से हॉटलों में परिवार सहित पार्टियां मना रहें हैं. देसी-विदेसी कारों से पांच-पांच सौ और हजार-हजार के नोट बरामद हो रहें हैं. जाहिर है कि जितने बरामद हो रहें हैं उससे ज्यादा ठिकाने लगाये जा चुके हैं.
उधर, देश के दिहाड़ी मजदूर चिल्हर की समस्या के कारण बेरोजगार हो गये हैं. छत्तीसगढ़ के जशपुर में तो टमाटर सड़ न जाये इसलिये लागत से भी कम कीमत पर बेचने के लिये किसान मजबूर हैं.
ट्रांसपोर्ट का कारोबार, सब्जी बाजार, अनाज की मंडी, पोल्ट्री फॉर्म सब के धंधे मंदे पड़े हैं. गैर-सरकारी अनुमान के अनुसार करीब 70 फीसदी व्यापार में घाटा हुआ है.
हाल ही में नोटबंदी के बाद जमीनी हकीकत का जायजा लेने छत्तीसगढ़ आई केन्द्र सरकार की टीम ने अपनी यहां के हालात की जानकारी पीएमओ तथा वित्त मंत्रालय को दे दी है. समाचार पत्रों की खबरों के अनुसार टीम का मानना है कि छत्तीसगढ़ में व्यापार आधा हो गया है.
यदि 9 नवंबर से राज्य तथा देश आधा या सत्तर फीसदी बंद है तो क्या उसे और बंद कराने की जरूरत है?
जहां तक छत्तीसगढ़ में नोटबंदी के बाद बाजार में आई मंदी का सवाल है उसका अनुमानित आकड़ा नीचे दिया जा रहा है. इसे हिन्दी के एक बड़े दैनिक अखबार की टीमों ने मौके पर जाकर एकत्र किया है. साथ में यदि यही स्थिति अगले सात हफ्तों तक जारी रहेगी को क्या हालात हो सकते हैं उसका भी अनुमानित आकड़ा पेश किया गया है.
क्या कहते हैं 13 दिन के आंकड़े
* सब्जी बाजार को पिछले 13 दिनों में 1.26 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. यदि नकदी तथा चिल्हर की यही स्थिति बरकरार रही तो और 4.78 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.
* अनाज के व्यापार को 65 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है. यदि नकदी तथा चिल्हर की यही स्थिति बरकरार रही तो और 247 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.
* इसी तरह से इलेक्ट्रानिक्स के कारोबार को 95 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है. यदि नकदी तथा चिल्हर की यही स्थिति बरकरार रही तो और 361 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.
* रियल स्टेट कारोबार को 360 करोड़ रुपयों का नुकसान हुआ है. यदि नकदी तथा चिल्हर की यही स्थिति बरकरार रही तो और 1368 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.
* सराफा व्यापार को 71 करोड़ का नुकसान हुआ है. यदि नकदी तथा चिल्हर की यही स्थिति बरकरार रही तो और 269.8 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है.
इस तरह से देखा जाये तो केवल छत्तीसगढ़ में ही इन चुनिंदा व्यवसाय में ही 592 करोड़ का नुकसान हो चुका है. गणितीय गणना के अनुसार यदि नकदी तथा चिल्हर की यही स्थिति रही तो आने वाले 7 हफ्तों में छत्तीसगढ़ में 2,249.58 करोड़ रुपयों का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
देश भर में बंद की बात और उसका विरोध असल में उस साइबर स्पेस से ही उपजा है, जो कई अवसरों पर तथ्यों की ओर से बेपरवाह नज़र आता है. पिछले पखवाड़े भर में कहीं भी आपको किसी भी विपक्षी दल द्वारा भारत बंद के आह्वान की खबर नहीं नज़र आयेगी. यह सही है कि कुछ विपक्षी दलों ने अलग-अलग राज्यों में बंद का आह्वान किया है. लेकिन यह राज्यों का बंद है.
इसके उलट सोशल मीडिया के वीरों ने खुद ही भारत बंद के विरोध की बात कह कर अफवाह फैला दी और दुर्भाग्य से इस मीडिया पर ज़रुरत से कहीं अधिक यकीन करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस झांसे में आ गये.