प्रसंगवश

नोटबंदी से संबंधित कुछ तथ्य

नोटबंदी के बाद अफवाहों का बाजार गर्म है. इस पर तरह-तरह के दावे तथा आकड़े पेश किये जा रहे हैं. लोकतंत्र का ताकाजा है कि जनता को खुद ही सोच-समझकर फैसले लेने देना चाहिये. हां, कुछ आकड़ों की जरूरत पड़ेगी. ऐसे में सीजीखबर रिजर्व बैंक के 2015-16 के सालाना रिपोर्ट के आधार पर कुछ तथ्य अपने पाठकों के लिये पेश कर रहा है.

रुपये जो चलन में हैं (मार्च 2016)-

* 2 और 5 रुपयों के नोटों की संख्या- 11,626 मिलियन.
% यह मुद्रा जो चलन में है उसका 0.3 फीसदी मूल्य का है.
# इसका मूल्य 45 बिलियन रुपये का है.

* 10 रुपयों के नोटों की संख्या- 32,015 मिलियन.
% यह मुद्रा जो चलन में है उसका 1.9 फीसदी मूल्य का है.
# इसका मूल्य 320 बिलियन रुपये है.

* 20 रुपयों के नोटों की संख्या- 4,924 मिलियन.
% यह मुद्रा जो चलन में है उसका 0.6 फीसदी मूल्य का है.
# इसका मूल्य 98 बिलियन रुपये है.

* 50 रुपयों के नोटों की संख्या- 3,890 मिलियन.
% यह मुद्रा जो चलन में है उसका 0.6 फीसदी मूल्य का है.
# इसका मूल्य 194 बिलियन रुपये है.

* 100 रुपयों के नोटों की संख्या- 15,778 मिलियन.
% यह मुद्रा जो चलन में है उसका 9.6 फीसदी मूल्य का है.
# इसका मूल्य 1,578 बिलियन रुपये है.

* 500 रुपयों के नोटों की संख्या- 15,707 मिलियन.
% यह मुद्रा जो चलन में है उसका 47.8 फीसदी मूल्य का है.
# इसका मूल्य 7,854 बिलियन रुपये है.

* 1000 रुपयों के नोटों की संख्या- 6,326 मिलियन.
% यह मुद्रा जो चलन में है उसका 38.6 फीसदी है.
# इसका मूल्य 6,326 बिलियन रुपये है.

भारत में मार्च 2016 के आकड़ों के अनुसार सभी तरह के नोट मिलाकर कुल 90,829 मिलियन मुद्रा चलन में हैं जिनका मूल्य 16,415 बिलियन रुपया का होता है.

इस तरह से 8 नवंबर 2016 की मध्य रात्रि से 500 और 1000 के नोटों को मिलाकर कुल 22,033 मिलियन नोटों को अवैध घोषित कर दिया गया है. जिनका मूल्य 14,171 बिलियन रुपये है जो कि कुल मुद्रा का 86.4 फीसदी है.

जहां तक नोटों की छपाई की बात है इनकी छपाई भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड तथा सिक्युरिटी प्रिंटिंग एंड मिनटिंग कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड में की गई. जिसका विवरण इस प्रकार से है-

* 500 रुपये के नोटों की छपाई-

साल 2013-14 में 3,393 मिलियन नोट छापे गये जबकि 4,839 की मांग की गई थी.
साल 2014-15 में 5,018 मिलियन नोट छापे गये थे जबकि 5,400 की मांग की गई थी.
साल 2015-16 में 4,291 मिलियन नोट छापे गये ते जबकि 5,600 नोटों की मांग की गई थी.

* 1000 के नोटों की छपाई-

साल 2013-14 में 818 मिलियन नोट छापे गये थे जबकि 975 मिलियन नोटों की मांग की गई थी.
साल 2014-15 में 1,052 मिलियन नोट छापे गये थे जबकि 1,500 मिलियन नोटों की मांग की गई थी.
साल 2015-16 में 977 मिलियन नोटों की छपाई की गई थी जबकि 1,900 मिलियन नोटों की मांग की गई थी.

मार्च 2016 की स्थिति में 500 रुपये के 5,725 मिलियन नोट तथा 1000 रुपये के 2,200 मिलियन नोट छापने के लिये मांग की गई.

नकली नोट

जहां तक बैंकिंग सिस्टम द्वारा नकली नोट पकड़े जाने का मामला है साल 2014-15 में 500 रुपये के 2,73,923 नोट तथा साल 2015-16 में 2,61,695 नोट पकड़े गये जो कि 500 रुपये के कुल चलन के नोटों के महज 0.00002087 तथा 0.0000167 फीसदी के थे.

इसी तरह से 1000 रुपयों के नोटों के मामले में साल 2014-15 में 1,31,190 नकली नोट तथा साल 2015-16 में 1,43,099 नोट बैंकिंग सिस्टम द्वारा पकड़े गये जो कि चलन में रहने वाले 1000 के नोटों के महज 0.00002338 तथा 0.0000226 फीसदी के थे.

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