छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़: नोटबंदी से गांवों में संकट

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के गांवों में नोटबंदी से संकट गहरा गया है. शहरों में जहां लोग कुछ हद तक बैंकों-एटीएम से अपना काम चला ले रहें हैं वहीं कई गांवों में बैंक तथा एटीएम न होने के कारण ग्रामीण अजीब से संकट का सामना कर रहे हैं. उनके पास नगदी के रूप में ज्यादातर 500 और 1000 के पुराने नोट हैं जो न तो बाजार में चल रहें हैं और न ही उन्हें बदला जा सक रहा है. वैसे भी महंगाई के चलते लोग 100 और 500 के नोटों का ही ज्यादा इस्तेमाल करते थे. जिसमें से अब 500 के नोट अवैध हो गये हैं तथा 100 के नोटों की कमी बनी हुई है.

सबसे गंभीर स्थिति बस्तर के अंदरूनी इलाकों की है जां न तो बैंक की शाखायें हैं और न ही पेट्रोल के पंप हैं. अबूझमाड़ सहित दक्षिण बस्तर के कई पहुंच विहीन गांवों में ग्रामीणों के पास बैंक खाता नहीं है. उन्हें इन नोटों को बदलने के लिये 10 से 50 किलोमीटर तक का सफर करना पड़ रहा है.

मिली जानकारी के अनुसार लोहण्डीगुड़ा क्षेत्र के बीहड़ों में स्थित 11 गांव, अबूझमाड़ क्षेत्र के 10 गांव से बैंकों की दूरी 20 से 50 किलोमीटर दूर है. दक्षिण बस्तर के हाल इससे जुदा नहीं हैं. दूसरा बैंकों तक बस से या किसी अन्य तरीके जाने के लिये भी नगदी की जरूरत है.

उधर, राजनांदगांव के महाराष्ट्र से लगे गांवों में भी नकदी का संकट गहरा गया है. लोग पाई-पाई का हिसाब करके खर्च कर रहें हैं. जिला मुख्यालय से 150 किलोमीटर दूर औंधी के आसपास 100 से अधिक गांव हैं. यहां न तो बैंक हैं और न ही एटीएम हैं. ग्रामीण रोजमर्रा के खर्चे के लिये वैध नगदी की कमी की समस्या से जूझ रहें हैं.

आदिवासी क्षेत्र में स्थित मोहला और मानपुर में नाम मात्र के एटीएम हैं. जो खाली हो जाने पर अगले दिन ही भरे जा सकते हैं. जब शहरों के एटीएम में नगदी की मारामारी चल रही है तो इन आदिवासी इलाके की कल्पना आसानी से की जा सकती है कि यहां के बाशिंदे किस तरह से संकट में पड़ गये हैं.

महासमुंद में नोटबंदी के चलते बड़े नोट अवैध हो गये हैं. आखिर छोटे नोटों के भरोसे कितने दिन काम चल सकता है. जिन गांवों में बैंक नहीं हैं वहां पड़ोसी कस्बे में जाकर बैंक से नोट बदलवाना पड़ रहा है. जहां पहुंचने पर लंबी-लंबी कतार का सामना करना पड़ रहा है. कई बार बैंकों में नगदी न होने के कारण उन्हें हजार दो हजार देकर टरका दिया जा रहा है.

दुर्ग के कई ग्रामीण अंचलों के सहकारी बैंकों में केवल खातों में ही राशि जमा ली जा रही है परन्तु देने के लिये उनके पास भी नये नोट नहीं हैं.

अंबिकापुर में स्टेट बैंक के अलावा अन्य बैंकों ने हाथ खड़े कर लिये हैं. ग्रामीण इलाकों में तो कई बैंकों ने लेनदेन ही बंद कर दिया है. शुक्रवार रात को बारह बजे शहर एवं ग्रामीण क्षेत्र के एटीएम भरे गये थे लेकिन वे 6 घंटे के भीतर ही खाली हो गये. शुक्रवार दिनभर एटीएम से लोग खाली हाथ लौट रहे थे.

पिछले चार दिनों से बिलासपुर के बाजार में उठाव देखने को नहीं मिल रहा है. लोग केवल जरूरत का सामान ही खरीद रहें हैं. उसमें भी उन्हें कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है.

शुक्रवार को बिलासपुर के एटीएम मशीनों के सामने सुबह से लंबी-लंबी कतारे लगी थी अभी सभी लोगों ने पैसे नहीं निकाले थे कि दोपहर 12 बजे तक एटीएम ड्राई हो गई. खबर है कि बिलासपुर के सभी एटीएम मशीनों को मिलाकर सुब 10 बजे पांच करोड़ रुपये डाले गये थे.

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