छत्तीसगढ़बस्तर

नजर लागी राजा तोरे छत्तीसगढ़..

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक संपदा पर सभी की नजर है. आधे बने नगरनार प्लांट की विनिवेश की खबर पाते ही यहां पर देशी-विदेशी कंपनियां मंडराने लगी है. छत्तीसगढ़ में लौह खनिज से लेकर अन्य खनिज बड़ी मात्रा में उपलब्ध हैं. बस्तर में लौह खनिज की उपलब्धता के चलते यहां पर टाटा तथा एस्सार जैसी कई कंपनियां अपने हाथ अजमा चुकी हैं परन्तु उन्हें बैरंग लौटना पड़ा.

बस्तर अधिसूचित क्षेत्र में होने के कारण यहां संविधान की पांचवी अनुसूची लागू है. इस कारण से यहां भूमि-अधिग्रहण करना काफी जटिल है. लेकिन सरकारी कंपनी होने के कारण बस्तर में नगरनार प्लांट के लिये लगने वाली भूमि का अधिग्रहण करने में कोई परेशानी नहीं आई थी. साल 2000-01 के समय जब अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री थे उस समय इस संयंत्र के लिये पहला भू-अधिग्रहण हुआ था. उस समय नगरनार प्लांट के लिये 1000 एकड़ जमीन अधिग्रहित करके दी गई थी.

अब जब भूमि अधिग्रहण करने के बाद प्लांट के निर्माण का काम आधा हो चुका है नीति आयोग की सिफारिश पर इस नगरनार स्टील प्लांट को विनिवेश की सूची में डाल दिया गया है. इस खबर के बाद दक्षिण कोरिया की कंपनी पॉस्को 15 हजार 500 करोड़ रुपये का प्रस्ताव लेकर एनएमडीसी के पीछे लग गई है.

वहीं खबर है कि बैलाडीला की लौह अयस्क की खदान नंबर 2 की प्रॉस्पेक्टिंग लीज की प्रक्रिया में जुटी जिंदल स्टील भी जेएसडब्ल्यू के साथ नगरनार स्टील संयंत्र में पार्टनरशिप की संभावना तलाश रही है.

पॉस्को पहले से ही ओडिशा में पिछले एक दशक से 12 बिलियन डॉलर के प्लांट का निर्माण करना चाह रही है परन्तु विरोधों के चलते वह संभव नहीं हो पा रहा है. ऐसे में नगरनार स्टील प्लांट की विनिवेश की खबर उसके लिये एक सुनहरा मौका है.

सूत्रों के अनुसार पॉस्को के साथ एनएमडीसी प्रबंधन की दो दौर की बात भी हो चुकी है.

जाहिर है कि एनएमडीसी के नगरनार स्टील प्लांट का विनिवेश के नाम पर निजीकरण उन निजी खिलाड़ियों को फिर से यहां खेल खेलने का मौका दे देगा जिसके मैदान से उन्हें या तो खदेड़ दिया गया था या संविधान की पांचवी अनुसूची लागू होने के कारण इस क्षेत्र में उन्हे मनमानी करते नहीं बना था.

अब न तो नगरनार स्टील प्लांट के लिये भूमि अधिग्रहण करने का झंझट है और ही प्लांट निर्माण का विरोध होगा. इस तरह से सरकारी नीतियों के चलते छत्तीसगढ़ के बस्तर के प्राकृतिक संपदा के दोहन का मौका निजी खिलाड़ियों को मिल जायेगा क्योंकि अब तो खेल के नियम यही तय कर रहे हैं, जिसे बिना नियमों का खेल भी कहा जाता है.

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