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भारत में निवेश और तेज़ होगा

वित्त मंत्री अरुण जेटली का कहना है आगे के सालों में भारत में निवेश और तेज़ होगा. उन्हें भरोसा है कि भारत की विकास दर 7 फीसदी या उससे ऊपर रहने जा रही है. इस विषय पर बीबीसी के जस्टिन रॉलेट से हुई उनकी बातचीत-

भारतीय अर्थव्यवस्था:
सात फ़ीसदी और उससे भी ज़्यादा की विकास दर हासिल की जा सकती है. हालांकि हमें यह ध्यान रखना होगा कि हम ऐसे दौर में काम कर रहे हैं, जब दुनिया भर की स्थिति अच्छी नहीं है. और जब दुनिया भर की स्थिति अच्छी नहीं है, तो उसका असर हम पर भी पड़ेगा.

इसका असर अंतरराष्ट्रीय कारोबार, मांग और पूंजी के प्रवाह पर होता है. ऐसी प्रतिकूल स्थिति को देखते हुए मैं सोचता हूं कि घरेलू स्तर पर हम अच्छा कर रहे हैं.

भारत में विदेशी निवेश:
भारत का सर्विस सेक्टर काफ़ी बड़ा है. भारत बाज़ार में घेरलू मांग काफ़ी ज़्यादा है, आधारभूत ढांचे की कमी है. यहां पर काफ़ी ज़्यादा निवेश की ज़रूरत है. भारत में ज़्यादा ख़र्च होने का मतलब ज़्यादा विकास है. अगले कुछ सालों तक बड़े पैमाने पर निवेश होने जा रहा है. देश के भीतर और बाहर से भी.

निवेश के लिहाज़ से भारत बेहतरीन जगह है. हमें निवेश की ज़रूरत है और भारत में निवेश दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में ज़्यादा रिटर्न मिलेगा. इसलिए निवेशकों को ये तथ्य भी देखना चाहिए कि उनका निवेश सुरक्षित रहेगा और उनको बेहतर रिटर्न मिलेगा.

हमें अपने मौजूदा विकास स्तर को क़ायम रखना होगा. इसे थोड़ा बेहतर कर पाएं और घरेलू बाज़ार में सुधार को जारी रख पाएं, तो उम्मीद है जब दुनिया में आर्थिक तरक्क़ी का समय आएगा, तो भारतीय अर्थव्यवस्था को अतिरिक्त बढ़त हासिल होगी.

ब्रिटिश प्रधानमंत्री की भारत यात्रा:
ब्रिटिश प्रधानमंत्री टेरिज़ा ने यूरोप से बाहर किसी द्वीपक्षीय देश के साथ बातचीत के लिए भारत को सबसे पहले चुना है. मेरे ख़्याल से ये महत्वपूर्ण बात है, क्योंकि डेविड कैमरन जब प्रधानमंत्री बने थे, तब भी उनकी पहली विदेश यात्रा भारत की यात्रा ही थी.

वे अपने कार्यकाल में कई बार भारत आए. मेरे ख़्याल से भारत-ब्रिटिश संबंध-पारंपरिक, सांस्कृतिक, आम लोगों में आपसी संवाद, कारोबारी और आर्थिक संबंध, सभी दिन-प्रतिदिन मज़बूत हो रहे हैं.

भारत-ब्रिटेन कारोबारी संबंध:
ब्रिटेन में निवेश करने वाले सबसे बड़े निवेशकों में भारत है. वहीं ब्रिटिश कंपनियां भारत में सबसे बड़ी निवेशक हैं. इसलिए आंकड़ों से भले ज़ाहिर ना हो, लेकिन दोनों देशों के बीच कारोबारी संबंध काफ़ी है और यह बढ़ेगा ही.

ब्रेक्सिट के बाद, भारत और ब्रिटेन दोनों दुनिया की तरफ देख रहे हैं. दोनों में परंपरागत तौर पर कारोबारी संबंध रहा है. ऐसे में दोनों देश इसे मज़बूत करना चाहेंगे.

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