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गौरांग केस: 302 का मामला तय

बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के बहुचर्चित गौरांग बोबड़े हत्या के मामले में अदालत ने धारा 302 के तहत मामला तय किया है. शनिवार को बिलापुर के पंचम अपर न्यायाधीश यशवंत वासनीकर ने पीड़ित पक्ष के मांग को सही ठहराते हुये धारा 302 के तहत मामला तय किया है. शुक्रवार को इस मामले में अदालत में बहस हुई थी.

शुक्रवार की सुबह 11.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक चार लैपटाप में 6 घंटे तक मैग्नेटो माल के सीसी कैमरों में घटना की रात की रिकार्डिंग व फुटेज का अवलोकन किया गया.

अदालत ने सीसी कैमरा फुटेज में पाया है कि गौरांग को धक्का देकर गिराया गया है, उसके बाद आरोपी वहां से भाग निकले थे. यह भी प्रथम दृष्ट्या मामला हत्या का लगता है, उसके आधार पर आरोपियों पर धारा 302 के तहत आरोप तय किया है. अब आरोपियों पर हत्या के मामले में सुनवाई होगी. वहीं आरोपियों के डिस्चार्ज आवेदन को खारिज कर दिया गया है.

अब मामले की अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी.

उल्लेखनीय है कि बिलासपुर के रामा मैग्नेटो मॉल के टीडीएस बार में पार्टी के बाद 21 जुलाई 2016 की रात गौरांग बोबड़े की लाश मिली थी.

इस संबंध में पुलिस ने उसके चार दोस्तों किशुंक अग्रवाल, करन जायसवाल, करण खुशलानी और अंकित मल्होत्रा पर गैर-इरादतन हत्या का मामला बना उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.

गौर करने वाली बात है कि गौरांग की लाश ठीक उस जगह पर मिली थी जहां रामा मैग्नेटो मॉल में सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे हुये हैं. गौरांग को छोड़कर उसके साथियों का भाग जाना भी कई सवाल खड़े करता है कि आखिर वहीं पर क्या हुआ था.

गौरांग का दाई आंख सूजा हुआ दिखाई दे रहा था. ऐसा मुक्का मारने से ही होता है. सीने तथा पीठ पर चोट के निशान पाये गये थे.

पहले से ही गौरांग बोबड़े का परिवार मौत की पुलिस थ्योरी को मानने को तैयार नहीं था. मृतक गौरांग की बहन वेदांती का कहना है कि उसके भाई की हत्या की गई है. यदि गौरांग की हत्या नहीं हुई है तो उसके शरीर में इतनी चोटें कहां से आ गई?

वेदांती का सवाल है कि गिरने से आंखों में चोट नही लग सकती. फिर उसे दोस्त उसे छोड़कर क्यों भाग गये?

मृतक गौरांग के परिवार का आरोप है कि रईसजादों को बचाने के लिये हत्या के मामले को गैर-इरादतन हत्या का मामला बना दिया गया है.

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