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हैवान RPF, ऑटो वालों की इंसानियत

बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में रेल्वे प्रोटेक्शन फोर्स की हैवानियत तथा ऑटो वालों की इंसानियत साथ-साथ देखने को मिली. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के मुख्यालय वाले बिलासपुर रेलवे स्टेशन में आरपीएफ वालों ने जिस सोते हुये मजदूर की कमर तोड़ दी थी उसे ऑटो वालों ने छः दिनों तक खाना खिलाया. उसके बाद भी जब मजदूर ठीक न हुआ तो उसे ऑटो में बैठाकर जिला अस्पताल पहुंचाया.

जिला अस्पताल में भी वहां के सिविल सर्जन डॉ. एमए जीवानी ने मानवता का परिचय देते हुये मजदूर का निःशुल्क इलाज तथा एक्सरे करवाया तथा उसे आगे इलाज के लिये सिम्स रेफर कर दिया.

मिली जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के कोरबा के छुराकछार का रहने वाला 52 वर्षीय मजदूर लक्ष्मी नारायण पिछले कई वर्षो से बिलासपुर में मजदूरी करता है. यहीं से की गई मजदूरी के आधार पर उसके परिवार का भरण-पोषण होता है.

छः दिन पहले जब वह रोज की तरह से बिलासपुर रेलवे स्टेशन के गेट नंबर 4 के सामने रात को सोया हुआ था. उस समय आरपीएफ के कुछ जवान आ गये तथा उसे स्टेशन में सोने कारण पीटने लगे. लक्ष्मी नारायण को आरपीएफ वालों ने इतनी बेरहमी से पीटा कि उसकी कूल्हे की हड्डी टूट गई.

मजदूर को बुरी तरह से पीटने के बाद उसका क्या अँजाम हुआ इसे देखे बिना ही आरपीएफ के जवान वहां से खिसक गये थे. यदि ऑटो चालकों ने मजदूर की देखभाल न की होती तो शायद उसकी जान भी चली जा सकती थी.

जोनल मुख्यालय वाले बिलासपुर के रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ की गुंडागर्दी के चलते एक परिवार के भरण-पोषण पर सवालिया निशान लग गया है. साथ ही जिस मजदूर को पीटा गया है वह कभी ठीक भी होगा कि नहीं इसकी कोई गारंटी नहीं है.

गौरतलब है कि रेलवे में आरपीएफ का काम उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से बचाना है जबकि इस केस में एक आर्थिक रूप से मजबूर मजदूर को पीटकर उन्होंने अपनी ‘दबंगई’ दिखाई है.

दक्षिण मध्य रेलवे के अधिकारी रविन्द्र वर्मा ने इस पर कहा है कि मामले की जांच करवाई जायेगी तथा प्रार्थी से पहचान करवाई जायेगी जो भी तथ्य सामने आयेंगे उसके अनुसार कार्यवाही की जायेगी.

अब, व्हील चेयर पर बैठे इस मजदूर को रेलमंत्री सुरेश प्रभु भी न्याय दिला पाते हैं कि नहीं इसे देखना है.

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