IGP कल्लूरी पर कार्यवाही की मांग उठी
रायपुर | संवाददाता: राजनीतिक दलों ने IGP कल्लूरी पर कार्यवाही की मांग की है. सीबीआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट में बस्तर के ताड़मेटला में साल 2011 में हुई आगजनी पर हलफनामा देने के बाद राजनीतिक दल छत्तीसगढ़ के बस्तर के आईजीपी एसआर कल्लूरी के निलंबन तथा गिरफ्तारी की मांग कर रहें हैं. छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रदेश कमेटी के अध्यक्ष भूपेश ने कहा कि ताड़मेटला कांड कल्लूरी के आदेश अंजाम दिया गया था, उस समय कल्लूरी दंतेवाड़ा के एसएसपी थे. उनके ही निर्देश पर आदिवासी महिलाओं को प्रताड़ित किया गया और उनके घर जलाये गये. सुप्रीम कोर्ट में सीबीआई के हलफनामे के बाद अब सरकार कल्लूरी को निलंबित कर गिरफ्तार करे.
वहीं, छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव ने कहा है कि इस दर्दनाक घटना को कांग्रेस ने 28 मार्च 2011 को विधानसभा में उठाया था, लेकिन सरकार ने फोर्स के कृत्यों को नकार दिया था. सीबीआई की जांच रिपोर्ट से स्पष्ट हो गया है कि पुलिस और सरकर ने विधानसभा जैसे पवित्र सदन में झूठा बयान देकर प्रदेश की जनता को गुमराह किया.
माकपा की छत्तीसगढ़ राज्य समिति ने आईजीपी कल्लूरी पर भी आपराधिक प्रकरण कायम कर उनकी गिरफ़्तारी की मांग की है. माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा कि इस चार्जशीट से बस्तर पुलिस प्रशासन, भाजपा सरकार और प्रतिबंधित सलवा-जुडूम नेताओं द्वारा फैलाये गये झूठ का भी पर्दाफाश हो गया है. लेकिन राजकीय दमन और आतंक के खिलाफ जो लोग आवाज़ उठा रहे हैं, उन्हें आज भी तरह-तरह से परेशान किया जा रहा है, ताकि बस्तर की वास्तविक सच्चाई को सामने आने से रोका जा सके और प्राकृतिक संसाधनों की लूट को सुनिश्चित किया जा सके. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद भी सरकार और पुलिस के संरक्षण में सामाजिक एकता मंच और अग्नि जैसे कई ‘असामाजिक’ संगठनों को पैदा किया गया है, जो उच्चतम न्यायालय के निर्णयों की स्पष्ट अवहेलना है.
इस हलफनामे की रोशनी में माकपा ने स्पष्ट मांग की है कि छत्तीसगढ़ निर्माण के बाद उन सभी घटनाओं की स्वतंत्र जांच कराई जानी चाहिये, जिनमें नक्सलियों और पुलिस द्वारा आदिवासियों पर अत्याचार तथा मानवाधिकार हनन के आरोप लगे हैं.
माकपा ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा है कि भाजपा सरकार को आदिवासियों के खिलाफ अपनी ‘बहादुरी’ दिखाने वाले तत्कालीन एसएसपी और वर्त्तमान आईजी एसआरपी कल्लूरी को राज्य के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार से नवाजा जाना चाहिये.
||उधर, बस्तर बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति ने राज्य सरकार से मांग की है कि बस्तर के आईजीपी शिवराम प्रसाद कल्लूरी को तत्काल गिरफ्तार कर उन पर ताड़मेटला कांड में सीबीआई जांच के निष्कर्ष के आधार पर अपराधिक प्रकरण दर्ज करे.||
बस्तर बचाओं संघर्ष समिति ने एक बयान जारी करके कहा है तत्कालीन एसएसपी शिवराम प्रसाद कल्लूरी के आदेश पर पुलिस और सीआरपीएफ ने संयुक्त तलाशी अभियान चलाया था. इस दौरान तीन आदिवासी मारे गये, तीन महिलाओं के साथ दुष्कर्म किया गया और तीनों गांवों में 252 घर जला दिए गये. 11 से 16 मार्च-2011 के बीच बस्तर के ताड़मेटला, मोरापल्ली और तिमपुरम गांवों में यह घटना घटी थी.
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ के बस्तर में आदिवासियों के घरों में आग लगा देने की घटना के करीब पांच साल बाद सीबीआई ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में चार्जशीट पेश की है. जिसमें कहा गया है कि इस घटना को फोर्स ने ही अंजाम दिया था.
सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस मोहन बी ठाकुर और आदर्श गोयल की बेंच ने सरकार को शांति स्थापित करने व नक्सलियों से बातचीत शुरु करने को कहा है. इस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि वे बातचीत की जरूरत को उच्च स्तर पर पर उठायेंगे. हालांकि इससे तात्कालिक समाधान निकल सकता है, जरूरत स्थायी शांति की है.
गौरतलब है कि सुकमा जिले के ताड़मेटला, तिम्मापुर और मोरपल्ली गांवों में 11 से 16 मार्च 2011 के बीच फोर्स के जवानों ने गश्त की थी. इसी दौरान इन तीनों गांवों को पूरी तरह आग के हवाले कर दिया गया. घटना में फोर्स पर तीन गांवों के तीन सौ घरों को आग लगाने, तीन आदिवासी महिलाओं से बलात्कार करने और तीन लोगों की हत्या करने के आरोप लगे. सुप्रीम कोर्ट ने 2011 में ही ताड़मेटला कांड सीबीआई के हवाले कर दिया था.
इसके बाद 26 मार्च 2011 को जब स्वामी अग्निवेश अपने सहयोगियों सहित उन गांवों में जाने की कोशिश कर रहे थे तब दोरनपाल में उनपर जानलेवा हमला हुआ था. जिसमें सलवा-जुड़ुम नेता शामिल थे.