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शौर्य स्मारक में ‘नौशेरा का शेर’ नहीं..

भोपाल | संवाददाता: भोपाल में बने देश के पहले शौर्य स्मारक में शहीद अब्दुल हमीद तथा मोहम्मद उस्मान का नाम नहीं था. भोपाल में बने शौर्य स्मारक में परमवीर अब्दुल हमीद तथा ‘नौशेरा का शेर’ के नाम से विख्यात महावीर चक्र से सम्मानित ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को जगह नहीं मिली. 1947-48 में भारत-पाकिस्तान की पहली जंग हुई थी जिसे भारत ने आज़ादी के बाद लड़ा था. उस जंग में शहीद होने वाले ब्रिगेडियर उस्मान, शहीद होने वाले सबसे बड़े अफ़सर थे.

मध्यप्रदेश का संस्कृति विभाग इनका नाम शायद भूल चुका है. इसमें 22 शूरवीरों की दास्तां दर्ज की गई है. जिसमें 9 परमवीर तथा 13 महावीर चक्र से सम्मानित देश के शहीद सैनिक हैं.

उल्लेखनीय है कि भारत-पाक युद्ध के समय 8 सितंबर 1965 को हवलदार अब्दुल हमीद शहीद हुये थे. अब्दुल हमीद पंजाब के खेमकरण सेक्टर में तैनात थे. उन्होंने साधारण राकेट लांचर से पाक सेना के अमरीका में निर्मित 7 पैटन टैंकों को नष्ट कर दिया था. इस दौरान पाक सेना के गोले से उनकी मौत हो गई थी.

उसी तरह ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान 3 जुलाई 1948 को पाक घुसपैठियों की कोशिश को नाकाम करते समय देश के लिये कुर्बान हो गये थे. उन्हें द्वितीय विश्वयुद्ध के समय नौशेरा सेक्टर में अपने रणकौशल के कारण ‘नौशेरा का शेर’ कहा जाने लगा था. बंटवारे के बाद ब्रिगेडियर उस्मान ने जिन्ना के कहने के बावजूद पाकिस्तान जाने से इंकार कर दिया था.

मीडिया में बात उछलने के बाद मध्यप्रदेश के आला अफसर हरकत में आये. इस भूल को लोकार्पण से पहले सुधारने के आदेश दिये गये.

देश के पहले शौर्य स्मारक का उद्घाटन प्रधानमंत्री मोदी ने 14 अक्टूबर को किया है.

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