छत्तीसगढ़

बच्चों के लैंगिक उत्पीड़क उसके मालिक

रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में बच्चों का लैंगिक उत्पीड़न उसके मालिक करते हैं. छत्तीसगढ़ में 18 साल तक के बच्चों का लैंगिक उत्पीड़न सबसे ज्यादा उसके मालिक तथा सहकर्मी करते हैं. साल 2015 में छत्तीसगढ़ में बच्चों पर किये जाने वाले लैंगिक उत्पीड़न के मामलों में से 96.6 फीसदी में पोस्को एक्ट की धारा 4 व 6 के तहते दर्ज किया गया है. जिसका अर्थ होता है कि 18 साल के बच्चें के साथ दुष्कर्म किया गया तथा उसे उसके साथ गंभीर चोट पहुंचाई गई है.

पिछले साल छत्तीसगढ़ में 18 साल तक के बच्चों के साथ दुष्कर्म तथा उसके बाद गंभीर चोट पहुंचाने के 697 मामलें दर्ज किये गये. जिनमें से 147 अर्थात् 21 फीसदी केस में उसके मालिक तथा सहकर्मियों पर आरोप लगे हैं.

छोटे बच्चों का लैंगिक शोषण करने में पड़ोसी भी पीछे नहीं है. कुल 117 मामलों में इसमें पड़ोसियों का हाथ रहा है.

बच्चों के लैंगिक शोषण के मामलें में देशभर के 29 राज्यों में उत्तरप्रदेश देश में शीर्ष पर रहा है. वहां बच्चों के दुष्कर्म तथा उन्हें चोट पहुंचाने के 1440 मामलें दर्ज किये गये हैं. उसके बाद गुजरात में 1115, उसके बाद पश्चिम बंगाल में 1106, कर्नाटक तथा तमिलनाडु में 1073-1073, छत्तीसगढ़ में 697 तथा मध्यप्रदेश में 680 मामलें दर्ज किये गये हैं.

छत्तीसगढ़ के समान ही उत्तरप्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, तमिलनाडु तथा मध्यप्रदेश में 18 साल तक के बच्चों के साथ दुष्कर्म तथा उसके गंभीर चोट मालिक, सहकर्मी तथा पड़ोसी ही पहुंचाते हैं.

जाहिर है कि पेट की आग बुझाने के लिये बच्चे जिस स्थान पर काम पर जाने के लिये मजबूर होते हैं वहीं पर बैठा हैवान उनका लैगिंग शोषण करने में पीछे नहीं रहता है. यहां तक कि अपने बच्चें को डॉक्टर, इंजीनियर, बड़ा वकील बनाने का ख्वाब जेखने वाले पड़ोसी ही दूसरे के बच्चों के साथ दुष्कर्म करते हैं तथा उसके बाद उन्हें गंभीर चोट पहुंचाते हैं.

पास्को एक्ट और सजा
पास्को का अर्थ होता है प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फार्म सेक्सुअल अफेंसेस एक्ट 2012 यानी लैंगिक उत्पीड़न से बच्चों के संरक्षण का अधिनियम 2012. इस एक्ट के तहत नाबालिग बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराध और छेड़छाड़ के मामलों में कार्रवाई की जाती है. यह एक्ट बच्चों को सेक्सुअल हैरेसमेंट, सेक्सुअल असॉल्ट और पोर्नोग्राफी जैसे गंभीर अपराधों से सुरक्षा प्रदान करता है.

इस अधिनियम की धारा 4 के तहत वो मामले शामिल किये जाते हैं जिनमें बच्चे के साथ दुष्कर्म या कुकर्म किया गया हो. इसमें 7 साल सजा से लेकर उम्रकैद और अर्थदंड भी लगाया जा सकता है.

पास्को एक्ट की धारा 6 के अधीन वे मामले लाये जाते हैं जिनमें बच्चों को दुष्कर्म या कुकर्म के बाद गम्भीर चोट पहुंचाई गई हो. इसमें 10 साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है और साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है.

इसी प्रकार पास्को अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत वो मामले पंजीकृत किये जाते हैं जिनमें बच्चों के गुप्तांग से छेडछाड़ की जाती है. इसके धारा के आरोपियों पर दोष सिद्ध हो जाने पर पांच से 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है.

पास्को कानून की धारा 3 के तहत पेनेट्रेटिव सेक्सुअल असॉल्ट को भी परिभाषित किया गया है. जिसमें बच्चे के शरीर के साथ किसी भी तरह की हरकत करने वाले शख्स को कड़ी सजा का प्रावधान है.

18 साल से कम उम्र के बच्चों से किसी भी तरह का यौन व्यवहार इस कानून के दायरे में आ जाता है. यह कानून लड़के और लड़की को समान रूप से सुरक्षा प्रदान करता है. इस कानून के तहत पंजीकृत होने वाले मामलों की सुनवाई विशेष अदालत में होती है.

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