छत्तीसगढ़

छत्तीसगढ़ दौरा एक स्टंट– बृजमोहन

रायपुर | समाचार डेस्क: ओडिसा के राजनीतिक दलों का छत्तीसगढ़ दौरा एक राजनीतिक स्टंट है. छत्तीसगढ़ के सिंचाई मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने महानदी विवाद पर ओडिसा के रानीतिक दलों के छत्तीसगढ़ दौरों पर यह प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उन्होंने कहा ओडिशा के राजनीतिक दलों तथा सरकार को चाहिये कि वहां के शासकीय प्रतिनिधि मंडल को छत्तीसगढ़ सरकार से बात करने के लिये भेजना चाहिये. छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने साफ कर दिया कि मुख्यमंत्री या मंत्री स्तर पर चर्चा करने से ही उड़ीसा सरकार द्वारा बेवजह उत्पन्न किया गया संशय समाप्त हो सकता है.

उन्होंने याद दिलाया कि 1983 मे उड़ीसा के तत्कालीन मुख्यमंत्री व अविभाजित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बीच हुये समझौते के तहत संयुक्त बोर्ड बनाने हेतु निर्णय लिया गया था. परंतु आज तक इस निर्णय को अमल में नही लाया जा सका. इस हेतु छत्तीसगढ़ की सहमति के बाद भी उड़ीसा सरकार द्वारा सहमति न दिया जाना उनकी नियत पर संदेह पैदा करता है.

बृजमोहन अग्रवाल ने एक बयान जारी करके कहा कि बीते 29 जुलाई को दिल्ली में दोनों राज्यो के वरिष्ठ अफसरों की बैठक में बोर्ड गठन व् आवश्यक जानकारी साझा करने का निर्णय हुआ था. इस संयुक्त निर्णय को अमल में लाने छत्तीसगढ़ सरकार सहर्ष तैयार है परंतु उड़ीसा सरकार द्वारा अभी तक पहल नही किया जाना दुर्भाग्यजनक है.

श्री अग्रवाल ने कहा कि उड़ीसा राज्य के दो राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि मंडल छत्तीसगढ़ की योजनाओं को देखने भ्रमण पर आ चुके है. एक उड़ीसा में कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में और एक बीजेडी के महामंत्री प्रसन्ना आचार्य व मंत्रिमंडल के सहयोगियों के साथ आया है. सही मायने में यह सिर्फ राजनैतिक पर्यटन है, वो सिर्फ अपनी राजनैतिक रोटी सेंकने के लिए स्थलों का भ्रमण कर रहे है.

उन्होंने आगे कहा आज के वैज्ञानिक युग में जीएसआई, इसरो एवं सेटेलाइट के माध्यम से सभी जानकारियां घर बैठे प्राप्त किया जा सकता है. अतः बार बार उड़ीसा के राजनैतिक दलों का इस प्रकार का दौरा छत्तीसगढ़ की जनता को उद्देलित करने का राजनीति से प्रेरित प्रयास है. दोनों प्रतिनिधि मंडलों ने राजधानी रायपुर आकर शासन स्तर पर चर्चा का कोई प्रयास नही किया. यह इस बात को दर्शाता है कि उड़ीसा के विकास व सिंचाई सुविधा की उनकी चिंता कोरी है. अगर उन्हें चिंता होती तो हीराकुंड बांध बनाने के बाद बीते 50 सालों में उड़ीसा की जनता के हित में और भी स्ट्रक्चर वे खड़ा कर सकते थे परंतु नही किया क्योंकि उनमें विकासपरक सोच का आभाव है और आज हमारे निर्माणकार्यों पर आपत्ति जो कर रहे है वह पूर्णतः राजनीति से प्रेरित है.

छत्तीसगढ़ के सिंचाई मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि आज उन्हें चिंता इस बात की होनी चाहिए कि महानदी का 80 फीसदी पानी जो समुद्र में जाता है उसे रोके और उड़ीसा की जनता और किसानों के हितों की रक्षा करें. उन्होंने कहा कि अच्छा तो यह होता कि यहां आने वाले प्रसन्ना आचार्य एवं देवकीनंदन मिश्र जो मेरे पुराने परिचित है को अगर उन्हें वाकई में चिंता होती तो रायपुर आकर शासन स्तर पर चर्चा करते. उडीसा के राजनैतिक दलों के इस प्रकार के दौरे उड़ीसा की जनता को भुलावे में रखने का कुत्सित प्रयास है. अगर उड़ीसा सरकार का ऐसा ही रवैया रहा तो छत्तीसगढ़ के प्रतिनिधि भी जल्द ही उड़ीसा का दौरा करेंगे.

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